नवीन चौहान
किसानों ने देश में हरित क्रांति के द्वारा इसके आत्मसम्मान की रक्षा की है। सकल घरेलू उत्पाद में भी सबसे बडा हिस्सा कृषि क्षेत्र का है और सर्वाधिक रोजगार भी यही क्षेत्र देता है। प्रधानमंत्री गुमराह करने में माहिर है नोटबंदी, जीएसटी, दो करोड़ रोजगार के साथ साथ जोर जबरदस्ती असंवैधानिक ढंग से कृषि कानून पारित करा कर अब किसानों को धमका रहे हैं।
दिल्ली में पांच दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के मामले में पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इन कृषि कानूनों को किसानों के लिए लाभदायक बता रहे हैं जो वास्तविकता से कोसों दूर है। अमेरिका जैसे देश में भी यह प्रयोग असफल हो चुका है वह पर किसानों की तीन गुनी सब्सिडी बढ़ाई गई। प्रधानमंत्री जी का यह दावा की 3 दिन में भुगतान होगा झूठ के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि एक एक महीने में भी धान का भुगतान नहीं हो रहा है। सत्ता के घमंड में चूर सरकार किसानों को बुराड़ी पहुंचने की शर्त रख रही है जो अनुचित है सरकार को किसानों से तत्काल बिना शर्त किसानों से बात करनी चाहिए। एक तरफ तो गृह मंत्री जी और कृषि मंत्री जी कह रहे हैं कि किसानों से बातचीत करेंगे और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री जी इन कृषि कानूनों को लाभकारी बता रहे हैं इन परिस्थितियों में सफल वार्ता पर संदेह है। सरकार को तत्काल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करने तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु सरकारी खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए।