पतंजलि योगपीठ में पूर्ण निष्ठा से मनाया गया गुरु पूर्णिमा महोत्सव




नवीन चौहान.
हरिद्वार. पतंजलि योगपीठ के योग भवन सभागार में गुरु पूर्णिमा महोत्सव ऋषि ज्ञान परंपरा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ परिवार को श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण महाराज का आशीर्वाद लाभ मिला। कार्यक्रम में पतंजलि के माध्यम से आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ऋषि-मुनियों की प्राचीन परंपरा स्थापित कर विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक शक्ति भारत का निर्माण हो रहा है। अब वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व का नेतृत्व करेगा।

पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि पतंजलि के माध्यम से शिक्षा, संस्कार, चिकित्सा, कृषि, अनुसंधान आदि विविध क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। यहाँ दिव्य चरित्र गढ़ने का अद्वितीय कार्य किया जा रहा है। नन्हें-नन्हें बच्चे पतंजलि गुरुकुलम् तथा देश के लिए निस्वार्थ भाव से समर्पित संन्यासी पतंजलि संन्यास आश्रम में तैयार किए जा रहे हैं। पंचोपदेश- अष्टाध्यायी, धातु पाठ, योग दर्शन, व्यासभाष्य सहित, गीता, उपनिषद्, पंचदर्शन, व्याकरण महाभाष्य आदि में इन्हें पारंगत किया जा रहा है।

पतंजलि गुरुकुलम् तथा पतंजलि विश्वविद्यालय को 10 हजार विद्यार्थियों से प्रांरभ होकर 1 लाख विद्यार्थियों तक पहुँचाने का लक्ष्य आगामी 10 वर्षों में पूर्ण करना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् तथा पतंजलि विश्वविद्यालय में भारत के साथ-साथ विश्व के 200 देशों से आए बच्चों को विश्व नेतृत्व के लिए तैयार किया जाएगा। उन्हें उनकी मातृभाषा के साथ-साथ वैश्विक भाषा अंग्रेजी तथा संस्कृत में पारंगत किया जाएगा। नन्हें-मुन्हों को वेद, शास्त्र तथा उपनिषदों में दीक्षित किया जाएगा। भारत विश्व नेतृत्व करेगा तथा पॉलीटिकल, सोश्यल तथा इंटिलेक्चुअल लीडरशिप भारत की होगी।

यू.एन.ओ. तथा डब्ल्यू.एच.ओ. को भारतीय चिकित्सा पद्धतियों योग व आयुर्वेद को स्वीकार करना होगा, हमारी ऋषि संस्कृति को अपनाना होगा। नहीं तो यू.एन.ओ. तथा डब्ल्यू.एच.ओ. बदल जाएँगे या इनके हैड-ऑफिस भारत में स्थापित होंगे। पूंजीवाद व साम्प्रदायिकता का अंत होगा तथा सात्विकता, अहिंसा व आध्यात्मिकता का राज पूरी दुनिया में होगा।

स्वामी जी ने कहा कि आज सोश्यल मीडिया के दुरुपयोग से वैचारिक आतंकवाद बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यू-ट्यूबर्स, इंस्ट्राग्राम, ट्वीटर तथा फेसबुक यूजर्स वैचारिक आतंकवाद के नए चेहरे हैं। नए-नए अकाउंट्स बनाकर हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों, भारत की आध्यात्मिक विभूतियों, महापुरुषों को खुलेआम गाली दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पतंजलि अपनी सांस्कृतिक विरासत का संवाहक बनकर इन उन्मादियों के सामने दीवार बनकर खड़ा है। इन भौतिक, मजहबी, राजनैतिक आतंकवाद फैलाने वालों को स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण कभी रास नहीं आएँगे। किन्तु हमने वैचारिक विरोधियों की कभी चिंता नहीं की।

इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का यह पर्व गुरु की महत्ता को समर्पित है। आज हम जो कुछ भी हैं, हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों तथा गुरुजनों की कृपा से हैं। मैं सभी गुरुजनों का स्मरण करते हुए हृदय की अनंत गहराइयों से उन्हें प्रणाम करता हूँ। उन्होंने कहा कि स्वामी विरजानंद व महर्षि दयानंद से चली आई गुरु-शिष्य परंपरा को हमें आगे बढ़ाना है। गुरुओं का आश्रय व आलम्बन लेते हुए हमें ऋषि परंपरा का संवाहक बनाना है। हमें यह तय करना है कि इस राष्ट्र निर्माण से विश्व निर्माण की यात्रा में हमें क्या योगदान देना है। पतंजलि योगपीठ से राष्ट्र निर्माण का जो यज्ञ चल रहा है, उसमें पूज्य तेजस्वी संन्यासी भाई-बहन हमारे साथ हैं। साथ ही पतंजलि योगपीठ के विविध संगठनों के समर्पित कार्यकर्त्ता भी पतंजलि के पास हैं।

आचार्य जी महाराज ने कहा कि दुर्भाग्य से शास्त्रों का ज्ञान दुर्लभ हो गया था। कथा कहने वालों की संख्या तो बहुत थी लेकिन शास्त्र श्रवण- अष्टाध्यायी, वेद, उपनिषद, श्रीमद्भगवदगीता कण्ठस्थ कहने वालों का अभाव था। पूज्य स्वामी जी महाराज के अथक प्रयासों से यह संभव हो पाया है कि आज नन्हें-नन्हें बच्चे भी शास्त्र श्रवण कर रहे हैं।

आज पतंजलि योगपीठ दुनिया के लिए ऊर्जा, दृष्टि व आध्यात्मिकता का केन्द्र है। पतंजलि को इस वैश्विक केन्द्र बनाने में पूज्य स्वामी जी महाराज का अनवरत, अथक, अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ निहीत है। उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी जी महाराज विविध प्रतिभाओं के धनी हैं। ये उदाहरण हैं कि एक व्यक्ति के कितने आयाम हो सकते हैं। उन्होंने समस्त विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी गुरु परंपरा, ऋषि परंपरा व ज्ञान परंपरा पर गौरव करते हुए गुरु निष्ठ रहना है।

उन्होंने कहा कि हमारी ऋषि परंपरा, गुरु परंपरा, वेद परंपरा तथा सनातन आर्य वैदिक परंपरा में जीने वाले आचार्य, ब्रह्मचारी भाई बहन अपने ऋषि पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके भीतर अपने गुरुओं व पूर्वजों के प्रति पूर्ण निष्ठा है। वे उनके प्रतिनिधि बनकर अपने जीवन को आगे बढ़ा रहे हैं तथा अपने जीवन का दिव्य आरोहण कर रहे हैं।

कार्यक्रम में पतंजलि वैदिक गुरुकुलम्, पतंजलि वैदिक कन्या गुरुकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम् देवप्रयाग, पतंजलि गुरुकुलम्-योगग्राम, पतंजलि बाल गुरुकुलम् तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने पंचोपदेश- अष्टाध्यायी, धातु पाठ, योग दर्शन, व्यासभाष्य सहित, गीता, उपनिषद्, पंचदर्शन, व्याकरण महाभाष्य आदि का श्रवण किया। इन विविध शास्त्र श्रवण से ऋषियों की पुरातन भारतीय संस्कृति व ऋषि परंपरा पतंजलि योगपीठ के माध्यम से पुनः लौटती नजर आयी। शास्त्र श्रवण में विजेताओं को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में प्रो. महावीर जी, साध्वी देवप्रिया, स्वामी परमार्थ देव, डॉ. एन.पी. सिंह, श्री एन.सी. शर्मा, बहन ऋतंभरा, श्री ललित मोहन, बहन अंशुल, बहन पारुल, डॉ. जयदीप आर्य, भाई राकेश जी, श्री एस.के. तिजारावाला, श्री एल.आर. सैनी, श्री तरुण राजपूत, भाई विनोद, स्वामी तीर्थदेव, बहन साधना व पूरे देश से पतंजलि योगपीठ के सभी संगठनों यथा- भारत स्वाभिमान, पतंजलि योग समिति, महिला पतंजलि योग समिति, युवा भारत, पतंजलि किसान सेवा समिति और सोश्यल मीडिया राज्य प्रभारीयों ने गुरु सत्ता से आशीर्वाद प्राप्त किया।



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