गुरूकुल प्रकरण: अंक सुधार परीक्षा से पूर्व की पटकथा, जानिए इस खबर में




नवीन चौहान
गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ने अंक सुधार परीक्षा की एक अस्वस्थ परंपरा की नींव रखने से पूर्व सुनियोजित तरीके से पटकथा तैयार की। परीक्षा समिति के शिक्षाविदों ने बैठक में प्रस्ताव रखा। जिसके बाद सभी सदस्यों से प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की। जिसके बाद परीक्षा नियंत्रक विभाग ने परीक्षा सकुशल संपन्न कराई। हालांकि यह परीक्षा गुरूकुल कांगड़ी के ही एक प्रोफेसर के बच्चे को अधिक नंबर देकर लाभ पहुंचाने के लिए की गई।
अपने सफेद दामन को बेदाग रखने के लिए बीटेेक और दूसरे विषयों के चुनिंदा बच्चों की भी परीक्षा करा दी। बीटेक में पांच बच्चों ने अंक सुधार परीक्षा दी। एक बच्चे ने तो पांच विषयों में ही परीक्षा दी। तो किसी ने चार और तीन विषयों की परीक्षा दी। बताते चले कि परीक्षा समिति की बैठक से पूर्व उक्त प्रोफेसर ने कुलपति महोदय को आवेदन किया और अपने बच्चे के भविष्य हित को हवाला देते हुए अंक सुधार परीक्षा कराने की बात की।
जिसके बाद कुलपति डॉ रूप किशोर शास्त्री के सामने धर्मसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गई। वह इस गलत परपंरा की शुरूआत करने से पूर्व असमंजस की स्थिति में आ गए। उन्होंने काफी सोच विचार किया और परीक्षा समिति के पटल पर मामला रखने की बात की। लेकिन चूंकि उक्त परीक्षा समिति भी घर की ही थी। तो वहां पर अंक सुधार परीक्षा के लिए नियमों को बदलने में कोई अड़चन आने वाली नही थी। बैठक में सब कुछ सुनियोजित तरीके से हुआ। एक गलत परंपरा की शुरूआत करने से पूर्व नियमानुसार परीक्षा समिति की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में परीक्षा समिति ने अंक सुधार परीक्षा कराने पर सहमति प्रकट कर दी। बैठक की प्रति को देखने के बाद खुद अंदाजा लगा सकते है कि किस प्रकार इस वर्ष के लिए ही नियमों को बदला गया। जिसका सीधा लाभ एक प्रोफेसर के बच्चे को मिला। हालांकि विश्वस्त सूत्रों से जानकारी के अनुसार उक्त प्रोफेसर के बच्चे को दिल खोलकर अंक तक दिए गए है। जिनके पास कॉपी गई उक्त प्रोफेसर तक भी वो पहुंच गए। उन सभी को अपने पक्ष में प्रभावित किया।
एक साल ही क्यों
लेकिन विचारणीय यह है कि गुरूकुल कांगड़ी ने जब इस परंपरा की शुरूआत कर ही दी थी तो इसको इस वर्ष के लिए ही लागू किसलिए किया गया। अगर बच्चों के भविष्य की इतनी ही चिंता थी तो बाकायदा पूर्व के तमाम छात्रों को सूचना क्यो नहीं दी गई। अंक सुधार परीक्षा के मानक इस वर्ष के लिए क्यो लागू किया गया। आगामी सालों तक इस परंपरा को जारी रखने पर सहमति क्यो नहीं दी गई।
परिवारवाद की नजरी जारी
कुल मिलाकर गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों ने अंक सुधार परीक्षा के पीछे एक बड़े खेल को अंजाम दिया है। हालांकि गुरूकुल कांगड़ी के तमाम विद्धान परिवारवाद को समाप्त करने का तर्क दे रहे है। लेकिन हकीकत यह है कि जिस उददेश्य के लिए यह परीक्षा आयोजित की गई वह पूरा हो गया है।
सात अक्तूबर —2020 को कुलपति प्रो. रूपकिशोर की अध्यक्षता में सीनेट हाल में हुई थी बैठक
बैठक में समिति के 33 सदस्यों ने प्रतिभाग किया और 12 प्रस्ताव रखे गए। जिनमें से 8वें नंबर के प्रस्ताव में गुरुकुल में अंक सुधार परीक्षा की अस्वस्थ्य परंपरा की शुरूआत करने की नींव रखी गई।
बैठक में ये सदस्य हुए शामिल
समिति के अध्यक्ष कुलपति प्रो रूपकिशोर, कुलसचिव प्रो दिनेश चंद्र भट्ट, वित्ताधिकारी राजेंद्र मिश्र, आईक्यूएसी के निदेशक श्रवण कुमार शर्मा, कोर्डिनेटर प्रो नमिता जोशी, प्रो निपुर सिंह, अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी संकाय के अध्यक्ष प्रो पंकज मदान, प्राच्य विद्या संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो ब्रह्मदेव, मानविकी संकाय एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो एसके श्रीवास्तव, भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एलपी पुरोहित, जीव विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो नवनीत, डीन रिसर्च प्रो आरसी दूबे, एकेडमिक एफेयर्स डीन प्रो डीएस मलिक, प्रबंधन संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो वीके सिंह, प्रौद्योगिकी संकायाध्यक्ष प्रो कर्मजीत भाटिया, मुख्य अनुशासन अधिकारी एवं वेद विभागाध्यक्ष प्रो दिनेश चंद्र शास्त्री, संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो सोमदेव शतांशु, दर्शन विभागाध्यक्ष प्रो सोहनपाल सिंह आर्य, इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो राकेश कुमार शर्मा, रसायन विभागाध्यक्ष प्रो आरडी कौशिक, बी फार्मा विभागाध्यक्ष डा एसके राजपूत, श्रदृधानंद वैदिक शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रो सत्यदेव निगमालंकार, योग विभाग विभागाध्यक्ष प्रो सुरेंद्र कुमार त्यागी, प्रौद्योगिकी संकाय से डा एमएम तिवारी, उप परीक्षा नियंत्रक एवं डीन प्रो पीसी जोशी, सहायक परीक्षा नियंत्रक डा अजेंद्र कुमार, शिक्षा अनुभाग सहायक कुलसचिव डा पंकज कौशिक, ज्योर्तिविज्ञान विभाग डा भगवान दास, अर्थशास्त्र से डा विपुल भट्ट, हिंदी विभाग से डा अजीत तोमर, मनोविज्ञान विभाग से डा अरुण कुमार, प्रौद्योकिगी संकाय से डा सुयश भारद्वाज, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो एमआर वर्मा शामिल हुए।
परीक्षा अंक सुधार के लिए 8 नंबर पर रखा गया था ये प्रस्ताव
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि अंक सुधार परीक्षा के संबंध में वर्तमान में यह व्यवस्था है कि छात्र—छात्रा तभी अंक सुधार परीक्षा दे सकता है। जब उसने पाठ्यक्रम उत्तीर्ण कर लिया हो तथा उसकी पूर्व में कोई भी रिपीट नहीं रही हो। वह किसी एक प्रश्न पत्र में अंक सुधार दे सकता है। परीक्षा नियंत्रक ने अन्य विश्वविद्यालयों का हवाला देते हुए इसे उस वर्ष तक ही सीमित न रखने का प्रस्ताव किया। यूजीसी के द्वारा पाठ्यक्रम अवधि के अतिरिक्त दो वर्ष की व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने पाठ्यक्रम पास करने के दो वर्षों के अंदर किन्ही दो प्रश्न पत्रों में अंक सुधार की परीक्षा देने की व्यवस्था का प्रस्ताव दिया। उन्होंने पूर्व में कोई रिपीट न होने की बाध्यता को छात्र हित के विरुदृध बताया। इसे समाप्त करने का आग्रह किया। इस नई व्यवस्था के लागू होने के कारण एक अंतिम बार कुलपति के द्वारा पिछले पांच वर्षों की अवधि तक के लिए पूर्व छात्रों को किन्ही दो प्रश्न पत्रों में अंक सुधार का अवसर दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया। प्रो आरडी कौशिक ने इसे पांच वर्षों के स्थान पर 6 वर्षों तक करने की बात कही। यह भी कहा कि यह व्यवस्था सिर्फ एक बार के लिए होगी। भविष्य में पास करने के दो वर्षों के अंदर दो प्रश्न पत्रों में अंक सुधार का एक अवसर दिया जाएगा। अंक सुधार परीक्षा का शुल्क सत्र 2020—2021 से 3000 रुपये होगा। इस प्रस्ताव को प्रो आरडी कौशिक के सुझाव के साथ सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया।

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