किसने कहाः संत जो भी तय करेंगे संघ उनके साथ, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने पतंजलि गुरुकुलम का शनिवार को विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, स्वामी सत्यमित्रानंद समेत कई लोग मौजूद रहे। इस दौरान भागवत ने राम मंदिर के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि संत जो भी तय करेंगे संघ उसमें उनके साथ है।
सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एक बार फिर दोहराया कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण भारतीय अस्मिता से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए कानून बनाना चाहिए। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि किसी को यह कहने पूछने की जरूरत नहीं है कि अयोध्या में क्या बनना चाहिए। संघ पहले से ही राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है। बात रही मंदिर निर्माण की तो संघ की तरफ से जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। वही संत समाज मंदिर निर्माण को लेकर जन समर्थन और रणनीति बना रहा है। इसमें जो भी संत समाज निर्णय करेगा संघ उसका समर्थन करेगा और साथ खड़ा है। हां, यह बात जरूर है कि सरकार मंदिर निर्माण को कानून बना कर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करें।
गुरुकुलम के उद्घाटन से पहले संघ प्रमुख यज्ञ में स्वामी रामदेव, स्वामी प्रद्युम्न और गुरुकुलम के छात्रों समेत शामिल हुए। यज्ञ पूरा होते ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शिलापट्ट का अनावरण करते हुए पतंजलि गुरुकुलम का उद्घाटन किया। उद्घाटन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि पढ़ने-लिखने के साथ इंसान बनना बड़ी बात है। मनुष्य को मनुष्य बनाने वाला ज्ञान जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी है।
अपने संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि किस रास्ते पर चल रहे हैं वो मायने नहीं रखता बल्कि रास्ता कहां लेकर जा रहा है वो ज्यादा जरूरी है। मोहन भागवत ने कहा कि भारत की शिक्षा में खास बात है कि यहां ये सीखने को मिलता है कि अच्छा मनुष्य बनना चाहिए। लेकिन हमारी आज की शिक्षा में इसका अभाव है। शिक्षा व्यवहारिक जगत में तारण करने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रेम और विद्या सीखने का तरीका गुरुकुल है, जहां जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। पतंजलि गुरुकुलम में अध्ययनरत विद्यार्थियों को तपोमय वातावरण में रखकर उन्हें अष्टाध्यायी, महाभाष्य, गीता, उपनिषद, वेद वेदांग आदि आर्य ज्ञान परंपरा में पारंगत करना है। योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण विश्व में योग व भारतीय वैदिक संस्कृति को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दौरान महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद रहे।



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