हरिद्वार। शिक्षा मंत्री के फरमान के बाद निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की लाटरी खुलने वाली है। निजी स्कूलों के शिक्षकों को राज्य सरकार के मानकों के अनुसार ही वेतन देना होगा। जिसके चलते सरकारी और निजी स्कूलों के शिक्षकों के वेतन की असमानता खत्म हो जायेगी तथा शिक्षकों का मन बच्चों को पढ़ाने में लग सकेगा।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही त्रिवेंद्र सिंह रावत के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय फुल फार्म में बैटिंग करते दिखाई दिये। शिक्षा मंत्री ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिये शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों के लिये कई कठोर निर्णय किये। शिक्षकों के स्कूल से घर की दूरी का दायरा आठ किलोमीटर का तय कर दिया साथ ही बच्चों के साथ अध्यापकों के लिये डेस कोड तक लागू कर दिया। वही निजी स्कूलों पर जमकर शिकंजा कसा गया। स्कूलों में सख्ती से आरटीआई का पालन कराने के लिये शिक्षा विभाग को सख्त निर्देश दिये। इसी कड़ी में शिक्षा मंत्री के नये आदेश ने निजी स्कूलों के संचालकों की नींद उड़ाने का फरमान जारी कर दिया। इस नये आदेश में निजी स्कूल के शिक्षकों को राज्य सरकार के वेतनमान के अनुसार वेतन दिलाये जाने का प्रावधान किया गया है। जिसके लिये शिक्षा विभाग से सभी स्कूलों के वेतनमान की ब्यौरा तलब किया जा रहा है।
निजी स्कूल की किताबे मिलेगी सरकारी कीमत पर
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने निजी स्कूलों के किताब वितरण करने का अधिकार भी छीन लिया है। उन्होंने बाकायदा एनसीआरटी ने किताब छापने के लिये कापीराइट लेने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। जिसके बाद नये सत्र से निजी व सरकारी स्कूल के अभिभावकों को सरकारी दरों पर किताबे मिला करेंगी। ये खबर अभिभावकों को राहत पहुंचाने वाली है।