नवीन चौहान
देशभर में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते हरिद्वार का कारोबार पूरी तरह से धड़ाम हो चुका है। बाजार सूने पड़े है। ग्राहकों का अभाव है। हरिद्वार के पैंटागन माल की हालत ये है कि वहां गिनती के लोग घूमते दिखाई पड़ रहे है। वही बाजारों की रौनक पूरी तरह से गायब हो चुकी है। स्कूल, कॉलेज बंद है। उत्तराखंड सरकार की ओर से कोरोना के वायरस से निबटने के दावे किए जा रहे है। लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो स्थिति जनता के लिए अनुकूल नही है। प्रकृति से खिलबाड़ का असर अब मनुष्यों के जीवन पर साफ दिखाई दे रहा है। ऐसे में कोरोना के खौफ को प्रकृति ही दूर कर सकती है। जिसके बाद हालात में सुधार देखने को मिलेगा।
बताते चले कि चीन से शुरू हुआ कोरोना का प्रकोप इटली का सफर तय करते—करते भारत प्रवेश कर चुका है। भारत में भी कई स्थानों पर कोरोना ग्रसित पीड़ित मरीज देखने को मिले। इन मरीजों में कोरोना के होने की पुष्टि हुई तो केंद्र सरकार ने सुरक्षा के दृष्टिगत निर्देश पूरे देश में जारी कर दिए। पीएम नरेंद्र मोदी के कोरोना को लेकर सुरक्षा संदेशों के बाद राज्य सरकार की ओर से भी कदम उठाए जाने शुरू हो गए। उत्तराखंड की बात करें तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश के सभी सरकारी गैर सरकारी स्कूल, कॉलेजों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए। इसके अलावा सुरक्षा के कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए। सरकार की ओर से जारी आदेश निर्देशों के बाद प्रदेश में कोरोना को लेकर एक भय का वातावरण सा बन गया। इसी भय के चलते कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो गए। लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया। बाजारों की रौनक गायब हो गई। सिनेमा घर बंद हो गए। लोग घरों में कैद होने को विवश हो गए। कुछ ऐसा ही हाल हरिद्वार का है। यहां पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है। लोगों ने रेस्टोरेंट में जाना छोड़ दिया। भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से लोगों ने परहेज किया। होटल में कमरे खाली पड़े है। कपड़ों की दुकानों पर ग्राहकों की कमी देखने को मिल रही है। हरिद्वार में आम जन जीवन पूरी तरह से प्रभावित है। समान्य जरूरतों की चीजों को छोड़कर लोग खरीददारी नही कर रहे है। ऐसे में अर्थव्यवस्था प्रभावित होना लाजिमी है। अगर जल्द ही हालात नही बदलने और कोरोना का खौफ खत्म नही हुआ तो भूखमरी के हालात तक उत्पन्न हो जायेंगे।