नवीन चौहान.
देश के बाजार नियामक (सेबी) ने शुक्रवार को देश के सुप्रीम कोर्ट को दी गई जानकारी में कहा कि अरबपति गौतम अडानी के समूह ने प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन किया है या नहीं, इसकी जांच लगभग पूरी हो गई है और आदेश पारित करने के लिए कुछ मामलों में कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
सेबी की ओर से की जा रही जांच पर सभी की नजर टिकी है। हालांकि कहा जा रहा है कि सेबी की रिपोर्ट से अडाणी समूह को काफी राहत मिलेगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि उसने अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों से जुड़े 24 लेनदेन की जांच की है, जिनमें से 22 की जांच अंतिम स्थिति में जबकि दो मामलों में जांच जारी है। सेबी जांच के नतीजों के आधार पर उचित कार्रवाई करेगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से सवाल उठाने के बाद अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों को इस साल की शुरुआत में बाजार मूल्य में 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था। हालांकि समूह ने अपनी ओर से कुछ भी गलत करने से इनकार किया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को आरोपों की जांच करने और मार्च में गठित छह सदस्यीय पैनल को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा था, जिसमें एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और अनुभवी बैंकर शामिल थे।
न्यायालय की ओर से नियुक्त समिति ने मई में कहा था कि नियामक ने अपनी जांच में अब तक कोई सुराग नहीं लगाया है और मामले की जांच जारी रखना अंतहीन यात्रा है, हालांकि इस दौरान नियामक को अपनी जांच पूरी करने के लिए और समय दिया गया था। सेबी ने कहा कि उसने बाहरी एजेंसियों से जानकारी मांगी है। यह सूचना उपलब्ध होने पर नियामक जरूरत पड़ने पर इस मामले में आगे की कार्रवाई का निर्धारण करेगा।
न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों से संबंधित जांच में, सेबी ने कहा है कि उसकी जांच में अदाणी समूह की कंपनियों की 13 विदेशी इकाइयां (12 एफपीआई और एक विदेशी इकाई) शामिल थीं। लेकिन चूंकि इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाएं टैक्स हेवन अधिकार क्षेत्र में स्थित हैं, इसलिए उनके आर्थिक हितों के बारे में जानकारी जुटाना एक चुनौती की तरह है।
हालांकि, सेबी ने कहा कि कि पांच विदेशी न्यायालयों से विवरण एकत्र करने के प्रयास चल रहे हैं। नियामक ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में अदालत को यह भी अवगत कराया है कि वह जांच रिपोर्ट के परिणाम के आधार पर उचित कार्रवाई करेगा।
सूत्रों के अनुसार, 12 संस्थाओं में से तीन भारत-आधारित हैं (एक विदेशी बैंक की भारतीय शाखा है); चार मॉरीशस में और एक-एक फ्रांस, हांगकांग, केमैन द्वीप, आयरलैंड और लंदन में स्थित हैं। इंडियन एक्सप्रेस डिजिटल में प्रकाशित खबर के मुताबिक एक अन्य वैश्विक वित्तीय सेवा समूह, जो भारत में एक बैंक के रूप में काम करता है, ने केवल 122 करोड़ रुपये कमाए, लेकिन एक एफआईआई के रूप में बिना किसी आयकर के “9,700 करोड़ रुपये की भारी आय” अर्जित की।
डिजिटल मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार केमैन आइलैंड्स एफआईआई की मूल कंपनी, जो दर्जनों ‘शीर्ष लाभार्थियों’ में से एक है, ने अंदरूनी व्यापार का दोषी माना था और अमेरिका में 1.8 बिलियन डॉलर का जुर्माना अदा किया था। दरअसल, इस एफपीआई ने 20 जनवरी को अदानी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजिशन ली और 23 जनवरी को इसे और बढ़ा दिया। मॉरीशस स्थित एक अन्य फंड ने पहली बार 10 जनवरी को शॉर्ट पोजिशन ली।
‘टॉप शॉर्ट सेलर्स’ में दो भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं – एक नई दिल्ली में पंजीकृत है, जिसके प्रमोटर के खिलाफ सेबी ने निवेशकों को गुमराह करने और शेयर बाजार में हेरफेर के लिए एक आदेश पारित किया था। दूसरा मुंबई में पंजीकृत है।