आईएएस अंशुल सिंह ने कुंभ क्षेत्र की सफाई व्यवस्था का सुनियोजित प्लान, देंखे वीडियो





नवीन चौहान
उप मेलाधिकारी अंशुल सिंह ने कुंभ मेले की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त बनाने के लिए एक वृहद सुनियोजित प्लान बनाया है। मेला क्षेत्र को चार जोन में विभाजित करते हुए करीब 6 हजार से अधिक सफाईकर्मियों की तैनाती की गई है। सफाईकर्मी प्रतिदिन तीन शिफ्टों में कुंभ मेला क्षेत्र को चकाचक बनाने में जुटे है। उप मेलाधिकारी अंशुल सिंह लगातार सफाईकर्मियों के कार्यो का निरीक्षण कर रहे है। हरिद्वार के समस्त आश्रम, अखाड़ों में सफाईकर्मियों के कार्यो का जायजा ले रहे है। जिसके चलते हरिद्वार के सभी आश्रम अखाड़ों के संत भी बेहद खुश नजर आ रहे है।
कोरोना संक्रमण काल में कुंभ पर्व 2021 का आयोजन कराना बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। करोड़ों देशवासियों की आस्था के इस पर्व कुंभ मेले पर संपूर्ण विश्व की नजर बनी हुई है। ऐसे में कुंभ मेले की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त बनाकर रखना अपने आप में सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी उप मेलाधिकारी अंशुल सिंह पर है। अंशुल सिंह अपनी इस जिम्मेदारी को ईमानदारी के साथ निर्वहन कर रहे है। मेला क्षेत्र की साफ सफाई और शौचालय की व्यवस्था को पूर्ण करने में तन्मयता से जुटे है। मेलाधिकारी दीपक रावत के निर्देशों का पालन कर रहे है। कुंभ क्षेत्र की सफाई व्यवस्था पर सभी की नजर है और न्यूज127 की नजर उप मेलाधिकारी अंशुल सिंह की कार्यशैली पर है।

जब न्यूज127 की टीम ने अंशुल सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हरिद्वार को चार जोन में विभाजित किया गया है। मायापुर, कनखल, भूपतवाला और बैरागी कैंप है। जबकि 6 हजार 600 सफाईकर्मियों की तैनाती की गई है। कूड़ें को डस्टबीन में डालने के लिए जनता को लगातार जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि समस्त कूड़े को एकत्रित कर सराय के डंपिंग जोन में डाला जा रहा है। कुंभ मेला क्षेत्र में गंदगी को लेकर मेला प्रशासन पूरी तरह से संजीदा है। साफ सफाई पर पूरा फोकस है। उन्होंने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में सफाईकर्मियों की संख्या को बढ़ा दिया जायेगा। जिससे कि हरिद्वार बेहद ही खूबसूरत रहे।
बताते चले कि कुंभ पर्व के दूसरे शाही स्नान से पूर्व आईएएस अंशुल सिंह का आत्मविश्वास भी बढ़ा है। भारत के सबसे बड़े आयोजनों में एक हरिद्वार कुंभ पर्व में उप मेलाधिकारी की जिम्मेदारी मिलना अंशुल सिंह के लिए एक गौरव और अनुभव के क्षण है। जिसके बाद एक प्रशासनिक अफसर के तौर पर उनको काफी कुछ सीखने को भी मिलेगा।



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