नवीन चौहान
एलआईयू पासपोर्ट जांच के नाम पर घर—घर जाकर अवैध वसूली कर रही है। जबकि पूर्व में डीजीपी के आदेशानुसार एलआईयू को दस्तावेजों के आधार पर जांच रिपोर्ट देनी होती है। ऐसे में अवैध वसूली के खेल को अंजाम देने को एलआईयू घर—घर पहुंच रही है। इसी संबंध में इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंस (आईआरडीएस) नामक सामाजिक संस्था की सचिव व नेशनल आरटीआई फोरम की संरक्षक नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एचसी अवस्थी को पत्र भेजकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी एचसी अवस्थी को भेजे गए पत्र में बताया कि चार नवंबर 2011 को यूपी के तत्कालीन डीजीपी ने एलआईयू को निर्देशित किया था कि पासपोर्ट जांच अभिलेखों के आधार पर की जाए। अभिलेखों के आधार पर करके आख्या दें। इसी के साथ स्पष्ट रूप से कहा कि एलआईयू कर्मी पासपोर्ट जांच के लिए आवेदक के घर नहीं जाएंगे। डीजीपी के इन्हीं आदेशों के क्रम में एडीजी अभिसूचना ने 23 अप्रैल —2012 को आदेशित किया कि एलआईयू की जांच अभिलेखों के आधार पर की जाएगी। विशेष परिस्थिति में एसपी के निर्देश पर एलआईयू कर्मी मौके पर जा सकता है। एडीजी अभिसूचना ने उन्हें 28 मई—2018 को सभी एसएसपी को निर्देशित किया। इसी सभी निर्देशों के बावजूद देवरिया जिले को छोड़कर अन्य सभी जनपदों के एलआईयू कर्मी पासपोर्ट के आवेदक के घर जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इसी प्रक्रिया के दौरान भ्रष्टाचार के साथ—साथ आवेदक के साथ अनुचित व्यवहार भी हो रहा है। एलआईयू के कर्मचारी सत्यापन के नाम पर अवैध उगाही करते हैं। न देने वाले आवेदक को तख्लीफ का सामना करना पड़ता है। इस पूरे मामले में एसपी, एसएसपी तथा रेंज व जोन के आईजी, एडीजी सभी आंखे बंद किए हुए है। जिसके चलते हुए तत्कालीन डीजीपी के आदेशों की अवहेलना हो रही है। उन्होंने डीजीपी को अनुरोध किया कि प्रत्येक एसपी—एसएसपी को पूर्व आदेश का अनुपालन कराना सुनिश्चित कराएं, जिसे पासपोर्ट आवेदक को भ्रष्टाचार से निजात मिल सके।