आईपीएस संजय गुंज्याल यूं ही नहीं उत्तराखंड में सबके चहेते, उनकी कर्तव्यनिष्ठा और काम बेमिशाल




नवीन चौहान
आईपीएस संजय गुंज्याल यूं ही उत्तराखंड की जनता के सबके चहेते नहीं है। उनकी ईमानदारी से काम करने का तरीका बेमिशाल है जो सभी के दिलों को भाता है। उनकी सादगी, संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा किसी से छिपी नहीं है। उत्तराखंड में केदारनाथ धाम की त्रासदी के दौरान आईपीएस संजय गुंज्याल के किये गए कार्यों ने उनके मानवीय व्यक्तित्व को सबके सामने रखा। पीड़ितों को रेस्क्यू करना और मृतकों के शवों को निकालकर दाह संस्कार करने से लेकर हरकी पैड़ी पर उनके पिंडदान तक करना उनके दयालु हृदय की झलक पेश करता है। आईपीएस संजय गुंज्याल ने अपने कार्यों को डयूटी ना समझते हुए कर्तव्यपरायणता की मिशाल पेश की है। वर्तमान में आईपीएस संजय गुंज्याल मां गंगा के भक्तों की सुरक्षा के लिए कुंभ मेला 2021 के आयोजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। लेकिन इससे पूर्व उनके एसडीआरएफ में किए गए जाबाजी के कार्यों को जानना भी जरूरी है।
हरिद्वार के पूर्व एसएसपी संजय गुंज्याल जो कि वर्तमान में कुंभ मेला आईजी के तौर पर तैनात है। हरिद्वार के कुंभ मेले के आयोजन में आने वाले भक्तों की सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों में जुटे है। उन्होंने अपने बेमिशाल कार्यों से उत्तराखंड की जनता के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाई है। बात करते है साल 2013 की। जब उत्तराखंड के केदारनाथ में आपदा आई। लाखों की संख्या में लोग त्रासदी में फंस गए। इस दौरान पीड़ितों को सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी तत्कालीन सरकार ने आईपीएस संजय गुंज्याल को दी गई। संजय गुंज्याल अपनी जान को खतरे में डालते हुए मौत से मुकाबला करते हुए दुर्गम इलाकों में पहुंचे। जिसके बाद उन्होंने पीड़ितों के जीवन की रक्षा की। इस घटना के बाद जब तत्कालीन सरकार को आपदा की स्थिति में एक पुलिस बल के गठन की जरूरत पड़ी तब उत्तराखंड में एसडीआरएफ का उदय हुआ। साल 2014 में एसडीआरएफ का गठन किया गया, जिसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आईपीएस संजय गुंज्याल को मिली। एसडीआरएफ के उप महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने 152 सदस्यों के निर्मित बल को दिशा निर्देशन, प्रशिक्षण से पारंगत बनाया। अब वे कुंभ—2021 के आयोजन को सफल बनाने के लिए लगे हुए हैं। उनका फोकस है कुंभ दिव्य और भव्य हो, ताकि श्रद्धालु आस्था की डुबकी कुंभ में लगा सके।

आईपीएस संजय गुंज्याल एसडीआरएफ टीम के साथ

एसडीआरएफ ने पर्वतारोहण कर फहराया ध्वज
एसडीआरएफ जवानों को ग्लेशियर एवं ट्रैक रुटों पर रेस्कयू हेतु पर्वतारोहण की ट्रेनिग दिलाई गई। साथ ही पर्वतारोहण अभियान भी आरम्भ किए गए। एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस ने भागीरथी- 2, सतोपंथ और विश्व शिखर एवरेस्ट तक पुलिस ध्वज फहराकर अपने हौसलों और अंदाज को परिचय से सबको रूबरू कर दिया।

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आधुनिक उपकरणों से लैस है एसडीआरएफ
एसडीआरएफ अत्याधुनिक रेस्कयू उपकरणों से लैस है, बल के पास सोनार सिस्टम, विकटिंग लोकेटिंग कैमरा, रेस्टुयूब, अंडरवाटर ड्रोन जैसे महत्तम ओर नवीनतम उपकरण है।
गठन के मात्र 7 वर्षों में एसडीआरएफ एक कंपनी से बढ़कर 4 कम्पनियों तक पहुंच गई है। जिसके पास रेस्कयू बल के अतिरिक्त महिला रेस्कयू दस्ता, ट्रेंनिग प्रदान करने हेतु कुशल ट्रेनिग विंग, तेज बहाव नदियों में रेस्कयू हेतु नवीनतम उपकरणों से लैस फ्लड टीम, डॉग स्क्वायड दस्ता, पर्वतारोहण रेस्कयू टीम मौजूद है, जो नवीनतम संचार क्यूडीए, सेटेलाइट फोन से सुसज्जित है।

आईपीएस संजय गुंज्याल एसडीआरएफ टीम के साथ

जागरूकता कार्यक्रमों में लिया बढ़चढ़कर भाग
आपदा के दौरान मानव क्षति न्यूनीकरण को बल प्रदान करने के लिए दूरस्त एवमं सीमांत क्षेत्रों तक व्याख्यान, गोष्ठियां, कैंप, प्रशिक्षण, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जनजागरूकता अभियानों को गति दी गई। प्रदेश भर में लगभग 2 लाख लोगों तक आपदा में बचाव की जानकारी पहुंची है। आज रेस्कयू बल की अनेक उपलब्धियों में 1500 से अधिक रेस्कयू ऑपरेशनों के माध्यम से लगभग 5500 घायलों की जिंदगी बचाने की मानवीय उपलब्धि भी सम्मलित है।



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