भारतीय संस्कृति और मां गंगा को देखकर अभिभूत हुए लिथुआनिया का दल




सोनी चौहान
यूरोप महाद्धीप के उत्तरी भाग में बाल्टिक सागर के किनारे स्थित देश लिथुआनिया का पांच सदस्यीय दल ने हरिद्वार पहुंचकर मां गंगा की पूजा अर्चना की। हरकी पैड़ी पर पुरोहित समाज के गणमान्य नागरिकों ने भी उनका भव्य स्वागत किया। तीन दिवसीय धार्मिक यात्रा पर पहुंचे इस दल में लिथुआनिया अतिथि इनिया ट्रिंकुनेने (गुरु माता),गिन्तारस सोनगेल ( पूर्व सांसद एवं पुजारी),रीता बालकुते ( शिष्या) विरगिनीहस कासिन (पुजारी),इगनस सतकौसकस(पुजारी) मौजूर रहे।
हरिद्वार हरकी पैड़ी के निकट सुनील सेठ जी केे निवास स्थान शिव निवास, श्री साई गंगा शॉपिंग मॉल जाट धर्मशाला के सामने एक हॉल में स्वागत क्रार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वागत करने वालों में गोपाल सेठ ,गिरी राज सेठ, अरूण सेठ, अनुपम सेठ, निकुंज पारशर, राहुल सेठ, संदीप सेठ, डा सत्यनारायण, पंडित सदीप आत्रेय भागवताचार्य, गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा, पुरूषोतम गांधीवादी, भोला शर्मा, गगन नामदेव, महेश गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

लिथुआनिया देश के बारे में कुछ बातें
लिथुआनिया देश यूरोप महाद्वीप के उत्तरी भाग में बाल्टिकसागर के ​किनारे स्थित है। यह ​तीन बाल्टिक देशों लिथु​आनिया, लातविया, एस्तोनिया में से सबसे बडा देश है। लिथुआनिया की राजधानी विल्नुस है। लिथुआनिया की आबादी 2012 में लगभग 30 लाख थी। लिथुआनियाई लोग एक बाल्टिक समुदाय है। लिथुआनियाई भाषा हिन्द—यूरोपीय भाषा परिवार की बाल्टिक शाखा की केवल दो जीवत भाषा में से एक है।
दूसरी लातवियाई है कहा जाता है कि लिथुआनियाई भाषा ने हमेशा शुद्धता और आदिम हिन्द—यूरापी भाषा से निकटता बनाई रखी है। और संस्कृत भाषा के बहुत समीप है।
बताते चले किे लिथुआनिया और भारत की संस्कृति एक ही है। लिथुआनिया में भी दक्ष प्रजापति के मन्दिर और कनखल का वर्णन है।



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