कुलपति डॉ पीपी ध्यानी की परीक्षा में फेल हुए एमटेक के छात्र, तो पास करने का फार्मूला





नवीन चौहान

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने एमटेक के छात्रों से विश्वविद्यालय का नाम और उनके व्यक्तित्व के बारे में पूछ लिया तो वह बगल झांकने लगे। एमटेक के छात्रों को उनके ही विश्वविद्यालय के नाम और व्यक्तित्व का बोध कराने के लिए कुलपति ने एक उच्चाधिकारियों की बैठक के बाद फार्मूला निकाला। विश्वविद्यालय में व्याख्यान का आयोजन और प्रतिमा की स्थापना पर सहमति बनाई।
बताते चले कि उत्तराखंड की राज्यपाल बैबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का नाम वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीक प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के नाम पर करने का फैसला 21 जून 2020 को किया गया था। जिसकी विधिवत अधिसूचना राज्य सरकार की ओर से 28 अक्टूबर 2020 को प्रकाशित की गई थी।
लेकिन कुलपति डॉ पीपी ध्यानी जब विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्होंने एमटेक में अध्ययनरत कुछ छात्रों से विश्वविद्यालय और वीर माधो सिंह भंडारी के बारे में पूछा। लेकिन कोई भी छात्र संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया। कुलपति डॉ ध्यानी को काफी निराशा हुई। उन्होंने तत्काल विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारी के साथ एक बैठक का निर्णय की। बैठक में निर्णय किया गया कि विश्वविद्यालय परिसर में वीर माधो सिंह भंडारी की एक प्रतिमा स्थापित की जाए और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को और चिरस्थाई बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष वीर माधो सिंह भंडारी स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया जाए। अधिकारियों द्वारा पूर्ण सहमति मिलने के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला गया कि वीर माधव सिंह भंडारी की प्रतिमा विश्वविद्यालय में स्थापित की जाएगी और व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। डॉक्टर ध्यानी ने वीर माधो सिंह भंडारी के बारे में छात्रों को अवगत कराया कि वह टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के एक महान योद्धा सेनापति और कुशल इंजीनियर थे। जिन्होंने लगभग 400 साल पहले टिहरी गढ़वाल के मलेथा गांव में पहाड़ का सीना चीर कर चंद्रभागा नदी का पानी स्थानीय लोगों के सहयोग से सुरंग खोदकर मलेथा गांव में पानी लाया था। तब से आज तक इस पानी में मलेथा गांव हरा भरा हुआ है। यहां के लोगों की आजीविका में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। आज इस गांव को उत्तराखंड राज्य का एक आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है। लगभग 400 साल पहले माधो सिंह भंडारी की अपनाई गई तकनीक स्थानीय परिपेक्ष में आदर्श उदाहरण के रूप में जाना जाती है। डॉक्टर ध्यानी ने यह बता कर अति प्रसन्नता जाहिर की कि वह ​टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी है। टिहरी गढ़वाल के दो सपूतों श्री देव सुमन और वीर माधो सिंह भंडारी के नाम पर उत्तराखंड राज्य में स्थापित दो विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में कार्य कर रहे है। कुलपति डॉ ध्यानी ने राज्य सरकार और राज्यपाल महोदय के प्रति आभार व्यक्त किया है।कुलपति डॉ ध्यानी का उददेश्य विश्वविद्यालय के तमाम छात्रों को वीर माधो सिंह भंडारी के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर योग्यवान बनाने का है।



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