शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को अटेंड करनी होगी सीएम योगी की क्लास




नवीन चौहान,हरिद्वार। प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को उत्तराखंड के निजी स्कूलों पर हंटर चलाने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की क्लास अटेंड करनी होगी। निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने से पहले स्कूलों को चलाने के लिये उनके आर्थिक श्रोत्र और खर्च की पूरी जानकारी जुटानी होगी। हालांकि निजी स्कूलों के संबंध में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ बहुत गहरी सोच रखते है। उनको मालूम है निजी स्कूल देश की शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न अंग है। निजी स्कूलों को ध्वस्त करके देश शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की नहीं कर सकता है। निजी स्कूलों के लिये मानक तय करने के बाद उनको स्वतंत्र करके ही हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचाईयों को छू सकता है।
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनने के बाद शिक्षा मंत्री की कुर्सी अरविंद पांडेय को दी गई। शिक्षा मंत्री बनते ही अरविंद पांडेय ने प्रदेश के तमाम निजी स्कूलों को रडार पर ले लिया। हर रोज एक नया फरमान जारी किया। निजी स्कूलों की एडमिशन फीस, एनुएल चार्ज, किताबों और आरटीई में छात्रों के प्रवेश को लेकर निजी स्कूलों को कठघरे में खड़ा कर दिया। प्रदेश के निजी स्कूल शिक्षा मंत्री के फरमान पर लामबंद हो गये। उन्होंने निजी स्कूलों को चलाने में असमर्थता जाहिर कर दी। जिसके बाद से ही निजी स्कूलों और शिक्षा मंत्री के बीच एक रार ठनी हुई है। वही दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साक्षात्कारके दौरान निजी स्कूलों को शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न अंग बताया। उन्होंने कहा कि देश ने 70 सालों में क्या इतना बड़ा ढांचा खड़ा किया है कि हम इन बच्चों को पढ़ा सके और अच्छी शिक्षा दे सके। उन्होंने कहा कि किसी को दोषी ठहराना तो बहुत आसान है लेकिन अपने सीमित संसाधनों में अच्छा कार्य कर रहे है। आप उनके दूसरे पक्ष को देखने का प्रयास क्यो नहीं कर रहे है। केवल एक तरफा कार्यवाही नहीं हो सकती है। हम निजी स्कूलों को प्रोत्साहित भी करेंगे और एक निश्चित सीमा के अंदर फीस भी तय करेंगे। मनमाना पन भी ना हो अन्याय किसी के साथ भी ना हो। उन्होंने कहा कि आज देश के अंदर कई निजी स्कूल और विश्वविद्यालय अच्छा कार्य कर चैरिटी का कार्य कर रहे है। यूपी के अंदर कई निजी संस्थान अच्छा कार्य कर रहे है। जो अच्छा कर रहे उन संस्थानों को प्रोत्साहित किया जायेगा जो गलत कर रहे उनको दंडित किया जायेगा। अगर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सोच के अनुसार ही प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय निजी स्कूलों को लेकर अपने मानक तय करे तो उत्तराखंड शिक्षा के हब के रुप में स्थापित हो सकता है।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी निजी स्कूलों पर की रिसर्च
हरिद्वार। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भले ही प्रदेश की जनता ने सत्ता से बेदखल कर दिया हो। लेकिन प्रदेश के निजी स्कूलों को लेकर उन्होंने गहरा रिसर्च वर्क किया था। उन्होंने न्यूज127डॉट कॉम से बात करने के दौरान कहा था कि निजी स्कूल हमारी शिक्षा व्यवस्था को चलाने में महती भूमिका अदा करते है। इन स्कूलों को दोषी ठहराकर कार्य नहीं किया जा सकता है। सरकार को निजी स्कूलों के साथ समन्वय बनाकर ही नये नियमों और फीस, एनुअल चार्ज इत्यादि निर्धारित किये जा सकते है।

संस्था और मालिकों के स्कूलों में सुविधाओं का अंतर
हरिद्वार। उत्तराखंड में हजारों निजी स्कूल संचालित होते है। इनमें से कुछ स्कूल संस्थाओं के है तो कुछ एकल मालिक के स्वामित्व के है। कुछ स्कूल सोसायटी के अंतर्गत संचालित होते है। संस्थाओं के स्कूलों में शिक्षकों को वेतन, पीएफ और गु्रच्युटी और तमाम भत्ते इत्यादि दिये जाते है। उन स्कूलों के भवन उनके रख रखाव का खर्च दूसरे निजी स्कूलों की तुलना में काफी ज्यादा होता है। जबकि एकल मालिक के निजी स्कूलों में मानकों की अनदेखी होती है। शिक्षकों को वेतन के नाम पर खाना पूर्ति की जाती है। जिसके चलते निजी स्कूलों पर अंगुली उठती है। अब सवाल उठता है कि राज्य सरकार सभी स्कूलों पर एक समान नियम लागू किस आधार पर कर सकती है। निजी स्कूल मानव संसाधन मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार ही संचालित किये जाते है। ऐसे में निजी स्कूल संचालक पशोपेश में है।



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