डीएवी स्कूल की एनएसएस ईकाई ने दिया नशा मुक्ति का संदेश





नवीन चौहान
डीएवी सेन्टेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर, लक्सर रोड, हरिद्वार एनएसएस की ईकाई संख्या यूएच.52.467 ने सात दिवसीय विशिष्ट शिविर का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम की श्रृंखला के दूसरे दिन ‘नैतिक मूल्य समाज की आवश्यकता’ पर कार्यक्रम हुआ। जिसका शुभारम्भ विभूति बिंजोला, वैष्णवी, राशी मेहरोत्रा, रिद्धिमा गर्ग, नंदिनी शर्मा ने सरस्वती वंदना से किया। गार्गी सैनी ने आज के परिवेश में नैतिक मूल्यों के महत्व को बताया। वैष्णवी चौधरी ने ‘नशे से मुक्ति’ पर एक स्वरचित कविता सुनाई। जिसे उपस्थितजनों ने खूब सराहा।


विद्यालय की शिक्षिका श्रीमति अनीता रावत ने नैतिक मूल्यों पर विद्यार्थियों का पथ प्रदर्शित किया। उन्होंने बच्चों को बताया कि सेवा की भावना अपने घर से आरम्भ करनी चाहिए। घर पर ही शुरू किए गए कार्य जीवन का अंग बन जाते हैं और इसी प्रकार यह सेवा भावना हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाएगी। तमन्ना सैनी ने अपने साथियों को कुछ खेल खिलाए, जिसमें सभी बच्चों ने बड़े ही उत्साह से प्रतिभाग किया। प्रज्ञा शाण्डिल्य और निधि वालिया ने ‘भारत की बेटी’ पर एक बहुत सुन्दर नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थितजनों का मन मोह लिया। मंच संचालन आदित्य कुमार और ओज शर्मा ने किया।
कार्यक्रम अधिकारी श्रीमति पूनम गक्खड़ सभी स्वयंसेवियों और विद्यालय के अन्य शिक्षकों श्री वरूण शर्मा, सुश्री दीपमाला शर्मा एवं श्रीमति मार्गेट सिंह के साथ अजीतपुर मस्त गाँव गए। वहाँ गाँववासियों कोे नशा मुक्ति के लिए प्रोत्साहित किया, उन्हें नशे से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी हानियों तथा उसके सामाजिक दुष्प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। उसके बाद उनसे नशा मुक्ति शपथ दिलाते हुए शपथ-पत्र भरवाए गए।

विद्यालय के कार्यवाहक प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया तथा उन्हें नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में ढालने का मंत्र दिया। उन्होनें बताया कि इसकी शुरूआत अपने घर से आज से ही करें। किसी को दुःख न पहुँचाना, किसी से अपशब्द न कहना यह तो हम कोशिश तो हम सभी करते ही हैं, किन्तु सबसे पहले अपने आप को हमेशा खुश रखना, अपने को किसी प्रकार के मानसिक दबाव में न डालना भी इसी सेवा का भाग है। स्वयं को यदि कोई शारीरिक अथवा मानसिक कष्ट है तो दूसरों की सेवा हम किस प्रकार से कर सकेगें। अपने दुःख-तकलीफ को अपने माता-पिता, अपने अध्यापकों, अपने सहपाठियों, अपने मित्रों में से किसी से भी सांझा अवश्य करनी चाहिए। यदि हम सभी खुश एवं प्रसन्न रहेगे तो ही समाज को प्रसन्न रख पाएंगे।



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