नवीन चौहान
मकर संक्रांति के स्नान पर लागू की गई शर्तों का विरोध शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा विरोध कोविड की जांच का है। गंगा सभा और व्यापारियों में कोविड की शर्तों को लेकर नाराजगी है। व्यापारी विरोध करने की रणनीति बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
मकर संक्रांति के स्नान पर जिला प्रशासन ने शर्ते लागू कर दी है। सबसे बड़ी शर्त लागू की है कि स्नानार्थी कोविड की आईसीएमआर पंजीकृत पैथोलॉजी से जांच कराकर रिपोर्ट साथ में लाए। इसी के साथ प्रत्येक चेक पोस्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग के नियम का पालन भी आवश्यक है। स्नान करने वालों को मास्क लगाकर आना होगा। मकर संक्रंति के स्नान के दो दिन पहले अचानक से शर्ते लागू कर दिए जाने से स्नानार्थियों में आक्रोश है तो साथ ही गंगा सभा और व्यापारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि स्नान के दो दिन पहले अचानक से कोविड की जांच के लिए आईसीएमआर की रिपोर्ट की शर्त लागू होने से तो एक भी श्रद्धालु गंगा में डुबकी नहीं लगा सकेंगे। क्योंकि आईसीएमआर की जांच कराने के लिए एक व्यक्ति को 1000 रुपये से अधिक का भुगतान और पैथोलॉजी से रिपोर्ट तीन दिन से पहले नहीं आती है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी सी रविशंकर से वार्ता कर शर्तों में ढिलाई देने की बात रखेंगे।
प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव चौधरी का कहना है कि प्रशासन को स्नान और आयोजन पर रोक लगानी है तो सीधे ही आदेश कर दें। जिला प्रशासन ने ऐसी शर्तें लागू कर दी है, जिनका पालन करना मुश्किल है। लगता है कि व्यापारियों को पूरी तरह से बर्बाद करने का निर्णय राज्य सरकार ने ले लिया है। उन्होंने बताया कि व्यापारियों को एकजुट करके जिला प्रशासन से मिला जाएगा।
गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि जिलाधिकारी सी रविशंकर से वार्ता हुईं है, उन्होंने बताया है कि स्नान को लेकर गाइड लाइन जारी की है, लेकिन कोविड की जांच न कराने वालों को वापस नहीं लौटाया जाएगा। जिलाधिकारी का निर्देश है कि कोविड के नियमों का पालन करना जरूरी है, तभी कोविड से सुरक्षित रहा जा सकता है। क्योंकि ढिलाई होने पर कोविड का प्रकोप बढ़ सकता है।