संस्कृत केवल भाषा नहीं अपतिु संस्कृत हमारे संस्कार है: प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री




संस्कृत दिवस पर DAV सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में भव्य कार्यक्रम का आयोजन

नवीन चौहान.
भारत में प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि के दिन संस्कृत दिवस का आयोजन किया जाता है। इसी उपलक्ष्य में डीएवी सेंटेनरी पब्लिक विद्यालय में संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो0 दिनेश चन्द्र शास्त्री कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय ने विशिष्टातिथि की भूमिका निर्वाहन की।

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सर्वप्रथम प्रधानाचार्य मनोज कपिल जी ने मुख्यातिथि को पुष्पगुच्छ व उपवस्त्र देकर अभिनंदन एवं सम्मानित किया। प्रधानाचार्य जी ने मुख्यातिथि जी को स्मृति स्वरूप ऋग्वेद के दो संस्करण तथा समृद्धि सूचक पौधा भेंट किया।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम वैदिक मंगलाचरण, सरस्वती वंदना, संस्कृत नृत्य, संस्कृत भाषण तथा स्तोत्र गायन के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग कर सम्पूर्ण वातावरण को संस्कृतमय बनाया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में संस्कृत भाषा के प्रति-रूचि उत्पादन करना तथा वर्तमान समय में संस्कृत भाषा की क्या विशिष्टता है इस विषय में छात्र-छात्राओं को बोध कराया।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखण्ड़ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 दिनेश चन्द्र शास्त्री जी ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत न केवल एक भाषा है अपितु संस्कृत हमारे संस्कार हैं, वेद अपौरूषेय हैं। इसरों के वैज्ञानिकों ने भी संस्कृत भाषा से ही प्रज्ञान शब्द लिया है जो कि संस्कृत की एक सूक्ति (प्रज्ञानं बह्म) में देखने को मिलती है।

विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कपिल जी ने छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन एवं वैज्ञानिक भाषा है तथा यह भी बताया कि संस्कृत दिवस वर्ष 1969 से भारत सरकार की संस्तृति प्रदान होने के बाद से प्रतिवर्ष हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है तथा उन्होंने बताया कि संस्कृत दिवस ही एकमात्र ऐसा उत्सव है जो भारतीय तिथि के आधार पर मनाया जाता है।

इस अवसर पर विद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्षा कुसुमबाला त्यागी, माध्यमिक स्तर की पर्यवेक्षिका हेमलता पाण्डेय, संस्कृत विभागाध्यक्षा प्रतिमा सक्सेना, संस्कृत अध्यापक नवनीत बलोदी, डॉ0 संदीप उनियाल तथा गणित अध्यापक देवाशीष आदि की गरिमामय उपस्थिति रही।



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