नवीन चौहान
उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में पहली बार एसआईटी की टीम ने एक दलाल को गिरफ्तार किया है। ये दलाल राकेश तोमर निजी कॉलेजों में फर्जी तरीके से छात्रों के एडमिशन कराकर कमीशन लेता था। जिसके बाद छात्र गायब हो जाते थे। जबकि निजी कॉलेज संचालक इन एडमिशन के आधार पर ही समाज कल्याण विभाग को गलत छात्र संख्या बताकर छात्रवृत्ति की रकम हासिल करते थे। हालांकि एसआईटी की टीम ने अभी एक दलाल को गिरफ्तार किया है। लेकिन इस खेल में शामिल करीब आधा दर्जन दलाल एसआईटी की गिरफ्तारी से दूर है। जबकि छात्रवृत्ति की रकम की मलाई खाने वाले छात्र एसआईटी की जांच से कोसो दूर है। इन छात्रों की भूमिका की जांच संदेह के घेरे में है। वही एसआईटी की नजर सिर्फ निजी कॉलेजों के इर्द—गिर्द ही घूम रही है।
हाईकोर्ट के आदेश पर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी एक के बाद एक परते उधेड़ रही है। एसआईटी ने करीब 45 कॉलेजों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया है। जबकि 16 कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। इसके अलावा हरिद्वार जनपद में करीब 128 कॉलेज से अधिक एसआईटी के रडार पर है। जिसके खिलाफ एसआईटी ने पुख्ता सबूत जुटा लिए है और कभी भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। वही देहरादून जनपद की बात करें तो वहां के 125 कॉलेजों पर एसआईटी कभी भी मुकदमा दर्ज कर सकती है। लेकिन धोखाधड़ी के इस खेल में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले दलालों में देहरादून के एक दलाल को एसआईटी ने सलाखों के पीछे भेज दिया है। आरोपी राकेश तोमर आयु 26 साल पुत्र खील सिंह निवासी ग्राम, थाना कालसी देहरादून ने एक कॉलेज एकेडमी आफ मैनेजमेंट स्टडीज से एक अनुबंध किया था। जिसमें आरोपी ने खुद को कमीशन का 40 फीसदी हिस्सा लेने की बात कही है। राकेश तोमर शैक्षणिक संस्थान में एससी—एसटी के छात्रों के एडमिशन कराने की बात को स्वीकार कर रहा है। आरोपी ने दलाली के तौर पर करीब 26 लाख 13 हजार का कमीशन लिया है। लेकिन राकेश तोमर तो एक दलाल है। निजी कॉलेजों से दलाली खाने वाले कई नामी दलाल और भी है। करीब आधा दर्जन से अधिक दलालों के नाम पतों की सूची तो खुद एसआईटी के पास है। जिन पर जल्द ही गिरफ्तारी की संभावना बनी हुई है। वही दूसरी ओर विजिलेंस जांच की बात करें तो सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की रकम हासिल करने गलत आय प्रमाण पत्र देने की बात पर करीब 350 अभिभावक विजिलेंस के रडार पर थे। जिसमें से करीब 340 को विजिलेंस जांच में क्लीन चिट मिली है। जबकि दस अभिभावक के खिलाफ फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाने की पुष्टि विजिलेंस ने करते हुए कोर्ट को जबाब दाखिल किया है। इसी के साथ इन सरकारी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए शासन की अनुमति का इंतजार है। शासन से अनुमति मिलने के बाद इन 10 लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होने की हरी झंडी मिलेगी। छात्रवृत्ति घोटाले में अभी तक की जांच उत्तराखंड सरकार के सिस्टम फेलियर होने की बात को उजागर कर रही है। जहां एक ओर तो कॉलेज आरोपी है। वही दूसरी ओर इस खेल को संरक्षण देने वाले तमाम सरकारी अधिकारी,शासन ,विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर से एसआईटी ने नजरे घुमाई हुई है।
उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में पहली बार एसआईटी की टीम ने एक दलाल को गिरफ्तार किया है। ये दलाल राकेश तोमर निजी कॉलेजों में फर्जी तरीके से छात्रों के एडमिशन कराकर कमीशन लेता था। जिसके बाद छात्र गायब हो जाते थे। जबकि निजी कॉलेज संचालक इन एडमिशन के आधार पर ही समाज कल्याण विभाग को गलत छात्र संख्या बताकर छात्रवृत्ति की रकम हासिल करते थे। हालांकि एसआईटी की टीम ने अभी एक दलाल को गिरफ्तार किया है। लेकिन इस खेल में शामिल करीब आधा दर्जन दलाल एसआईटी की गिरफ्तारी से दूर है। जबकि छात्रवृत्ति की रकम की मलाई खाने वाले छात्र एसआईटी की जांच से कोसो दूर है। इन छात्रों की भूमिका की जांच संदेह के घेरे में है। वही एसआईटी की नजर सिर्फ निजी कॉलेजों के इर्द—गिर्द ही घूम रही है।
हाईकोर्ट के आदेश पर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी एक के बाद एक परते उधेड़ रही है। एसआईटी ने करीब 45 कॉलेजों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया है। जबकि 16 कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। इसके अलावा हरिद्वार जनपद में करीब 128 कॉलेज से अधिक एसआईटी के रडार पर है। जिसके खिलाफ एसआईटी ने पुख्ता सबूत जुटा लिए है और कभी भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। वही देहरादून जनपद की बात करें तो वहां के 125 कॉलेजों पर एसआईटी कभी भी मुकदमा दर्ज कर सकती है। लेकिन धोखाधड़ी के इस खेल में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले दलालों में देहरादून के एक दलाल को एसआईटी ने सलाखों के पीछे भेज दिया है। आरोपी राकेश तोमर आयु 26 साल पुत्र खील सिंह निवासी ग्राम, थाना कालसी देहरादून ने एक कॉलेज एकेडमी आफ मैनेजमेंट स्टडीज से एक अनुबंध किया था। जिसमें आरोपी ने खुद को कमीशन का 40 फीसदी हिस्सा लेने की बात कही है। राकेश तोमर शैक्षणिक संस्थान में एससी—एसटी के छात्रों के एडमिशन कराने की बात को स्वीकार कर रहा है। आरोपी ने दलाली के तौर पर करीब 26 लाख 13 हजार का कमीशन लिया है। लेकिन राकेश तोमर तो एक दलाल है। निजी कॉलेजों से दलाली खाने वाले कई नामी दलाल और भी है। करीब आधा दर्जन से अधिक दलालों के नाम पतों की सूची तो खुद एसआईटी के पास है। जिन पर जल्द ही गिरफ्तारी की संभावना बनी हुई है। वही दूसरी ओर विजिलेंस जांच की बात करें तो सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की रकम हासिल करने गलत आय प्रमाण पत्र देने की बात पर करीब 350 अभिभावक विजिलेंस के रडार पर थे। जिसमें से करीब 340 को विजिलेंस जांच में क्लीन चिट मिली है। जबकि दस अभिभावक के खिलाफ फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाने की पुष्टि विजिलेंस ने करते हुए कोर्ट को जबाब दाखिल किया है। इसी के साथ इन सरकारी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए शासन की अनुमति का इंतजार है। शासन से अनुमति मिलने के बाद इन 10 लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज होने की हरी झंडी मिलेगी। छात्रवृत्ति घोटाले में अभी तक की जांच उत्तराखंड सरकार के सिस्टम फेलियर होने की बात को उजागर कर रही है। जहां एक ओर तो कॉलेज आरोपी है। वही दूसरी ओर इस खेल को संरक्षण देने वाले तमाम सरकारी अधिकारी,शासन ,विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर से एसआईटी ने नजरे घुमाई हुई है।