प्रचंड बहुमत की सरकार के विधायकों की सबसे बड़ी उपलब्धि, मुख्यमंत्री बदलने में लगा दी अपनी एनर्जी

Pushkar Singh Dhami


नवीन चौहान
उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की सरकार के सभी भाजपा विधायकों ने अपनी पूरी एनर्जी क्षेत्र के विकास की बजाए अपना मुख्यमंत्री बदलने में लगा दी. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को नकारा साबित करने और उनको कुर्सी से उतारने के लिए विधायक इस्तीफा देने के लिए दिल्ली तक पहुंच गए.

यही कारण रहा कि भाजपा विधायकों की जिद्द के आगे भाजपा हाईकमान ने भी सिर झुका दिया. परिणाम स्वरूप उत्तराखंड को एक ही कार्यकाल में तीन तीन मुख्यमंत्री देखने को मिले. फिलहाल प्रदेश सरकार के मुखिया युवा भाजपा नेता पुष्कर सिंह धामी हैं. जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पहली बार दिल्ली भाजपा हाईकमान से मिलने पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से आशीर्वाद लेने और केंद्र के कई मंत्रियों से मिलने के बाद देहरादून पहुंचेंगे.

जनता की अदालत में कटघरे में खड़ी भाजपा सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी के सामने तमाम चुनौतियां हैं. भाजपा को साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता दिलाने की सबसे बड़ी चुनौती है. प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के हमलों का सामना करना है. उत्तराखंड में अपने अस्तित्व की जड़े मजबूत करने में जुटी आम आदमी पार्टी से मुकाबला करना है. कोरोना संक्रमण काल की तीसरी लहर सामने हैं.

आम आदमी पार्टी को भी हलके में नहीं लिया जा सकता। रविवार को जिस तरह से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देहरादून में आकर अपने पासे फेंक गए हैं वह दोनों ही प्रमुख दलों के लिए चिंता का कारण है। अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश की जनता को चार आफर दिये हैं, इनमें बिजली फ्री, पुराने बिल मॉफ और कोई टैक्स न बढ़ाने के अलावा प्रदेश के किसानों को बिजली फ्री देने का आफर शामिल है। केजरीवाल ने बिजली पानी के बिल फ्री करने की अपनी योजना के बल पर ही दिल्ली की गददी हासिल की है।

अब देखना यही है कि अरविंद केजरीवाल की इस चाल का भाजपा और कांग्रेस क्या तोड़ निकालते हैं। आम आदमी पार्टी के प्रदेश में मजबूत होने से यदि नुकसान किसी को वर्तमान समय में होगा तो वह भाजपा ही है, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के पास दमदार नेताओं की कमी है। कांग्रेस के कदृावर नेता पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

कुल मिलाकर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने जहां प्रदेश की जनता की नाराजगी को दूर करने की चुनौती है वहीं आने वाले विधानसभा में पार्टी का जनाधार बचाये रखने की चुनौती भी उनके सामने हैं। अब देखना यही है कि वह कैसे अपनी कार्यशैली से जनता को प्रभावित कर उनकी और पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हैं।



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