कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत की सबसे बड़ी वजह




नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण से मरीजों की मौत होने का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद मरीजों की जान को खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन कोरोना संक्रमण से मरने वाले मरीजों में सबसे अधिक संख्या उन मरीजों की है जो दूसरी बीमारियों से पीड़ित है। शुगर, हार्ट, फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए कोरोना संक्रमण घातक साबित हो रहा है। जबकि जिन लोगों को हार्ट, शुगर, किडनी संबंधी कोई बीमारी नही है, ऐसे मरीजों को कोराना संक्रमण का खतरा भी बेहद कम है।
भारत में कोरोना का प्रकोप लगातार जारी है। करीब छह माह में कोरोना अपने प्रचंड प्रकोप की ओर अग्रसर है। देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वही दूसरी ओर से कोरोना संक्रमण को मात देने वाले मरीजों की संख्या में बेहतर स्थिति है। अगर हरिद्वार की बात करें तो 19 अगस्त तक जनपद में 3207 कोरोना पॉजीटिव मरीज पाए गए। जिनमें से 566 व्यक्ति विभिन्न कोविड केयर सेंटर में भर्ती है। हरिद्वार जनपद से 49994 व्यक्ति के सेंपल जांच के लिए लैब भेजे जा चुके है। जिनमें से 42670 की रिपोर्ट नेगेटिव तथा 3207 की रिपोर्ट पॉजीटिव मिली है। जबकि 3475 की रिपोर्ट आनी बाकी है। वही काफी संख्या में मरीजों की मृत्यु भी हो चुकी है। लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु की जो वजह निकलकर सामने आई है। उनके से कोरोना संक्रमण के चलते जो अन्य बीमारियों का प्रभावी होना पाया गया है। जी हां कोरोना संक्रमण के बाद मरीज को देखने के प्रति सभी का नजरिया बदल जाता है। कोरोना संक्रमण के खतरे की जद में आने से बचने के लिए मरीजों से दूरी बना ली जाती है। मरीजों को अस्पताल में बेहतर चिकित्सा उपलब्ध नही हो पाती। शु्गर, ब्लड प्रेशर, किडनी, हार्ट पर चिकित्सकों का ध्यान नही जा पाता। कोरोना संक्रमित मरीज की मृत्यु के पीछे की सबसे बड़ी वजह यही सामने आ रही है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन बेहतर चिकित्सा प्रबंध करने का दावा करते है। लेकिन मरीज के तीमारदारों से पूछकर देखा जाए जो अस्पताल प्रबंधकों के व्यवहार का पता चल सकता है। कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या और चिकित्सकों पर भारी मानसिक दबाब भी इसकी एक वजह है। फिलहाल कोरोना के कहर से बचने के लिए इसके संक्रमण से खुद को बचाकर रखना ही सबसे बेहतर विकल्प है। जो मरीज संक्रमण की चपेट में आया। उसका मुसीबतों का सामना करना तो तय है।
एम्स में चिकित्सकों के व्यवहार पर सवाल
एम्स में ​भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों के तीमारदारों से जब ये जाना गया कि वहां की चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल पूछा गया तो कई चौंकाने वाली बात ​सामने निकलकर आई। एम्स में चिकित्सकों की मनोदशा बिगड़ रही है। मानों चिकित्सक खुद अवसाद में हो। उनके स्वभाव में चि​ड़चिड़ापन आ गया है। एम्स के नोडल अधिकारी फोन तक उठाना मुनासिब नही समझते। आखिरकार अपने मरीज को लेकर चिंताग्रस्त परिजन सिफारिश खोजते है। लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर चिकित्सा व्यवस्था मिलना संभव ही नही हो पा रहा।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *