नवीन चौहान.
कोरोना को लेकर एक बार फिर चिंता में डालने वाली खबर सामने आयी है। बताया जा रहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट्स का खतरा वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। हाल ही में सामने आए दो नए वैरिएंट्स एरिस और BA.2.68 ने वैज्ञानिकों को अलर्ट कर दिया है।
नए वैरिएंट्स की संक्रामकता दर अधिक
डिजिटल मीडिया में चल रही खबरों को मानें तो वैज्ञानिकों का कहना है कि इन वैरिएंट्स की संक्रामकता दर काफी अधिक देखी जा रही है, जिसके कारण खतरा उन लोगों में भी हो सकता है जिनका वैक्सीनेशन हो चुका है या पहले से संक्रमण के बाद उनके शरीर में प्रतिरक्षा बनी हुई है। नए वैरिएंट्स में देखे गए अतिरिक्त म्यूटेशन के कारण यह आसानी से इम्युनिटी को चकमा देने वाला माना जा रहा है।
आईसीएमआर की रिपोर्ट जारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोरोना किस प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है, इस बारे में जानने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक अध्ययन किया। शोध की जारी रिपोर्ट में कहा गया कि संक्रमण के शिकार रहे 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जो कोमोरबिडीटी के शिकार थे या फिर जिनमें मध्यम से गंभीर लक्षण रहे हैं, ऐसे लोगों में संक्रमण से ठीक होने के एक साल के भीतर मृत्युदर अधिक देखी गई है।
पीएम के सचिव की बैठक
दुनियाभर में कोविड-19 के नए उभरते वैरिएंट को देखते हुए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने देश में वर्तमान कोविड की स्थिति और इसकी तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इसमें सभी राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों को इन्फ्लूएंजा जैसे बीमारियों सीवियर अक्यूट रेस्पोरेटरी इंफेक्शन (एसएआरआई) की निगरानी करने, कोविड-19 परीक्षण और जीनोम सीक्वेंसिंग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए हैं।