डीएम सी रविशंकर के रडार पर तीन भ्रष्ट अधिकारी, जल्द गिरेगी गाज




डीएम सी रविशंकर के रडार पर तीन भ्रष्ट अधिकारी, जल्द गिरेगी गाज
नवीन चौहान
हरिद्वार। हरिद्वार के तीन भ्रष्ट अधिकारी जिलाधिकारी सी रविशंकर के रडार पर आ चुके हैं। तीनों अधिकारियों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर लगाई गई है। जिलाधिकारी जल्द ही तीनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति करेंगे। हालांकि इन अधिकारियों से पूर्व भी कई भ्रष्ट अधिकारियों की कुंडली को जिलाधिकारी खंगाल चुके है। तथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संस्तुति कर चुके हैं।
बताते चले कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीरो टालरेंस की मुहिम को शुरू किया हुआ है। मुख्यमंत्री प्रदेश को भ्रष्टाचार की दीमक से निजात दिलाना चाहते है। हालांकि ये बेहद ही कठिन कार्य है। लेकिन ईमानदार जिलाधिकारियों के उत्तराखंड के कई प्रदेशों में काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। अगर हरिद्वार की बात करें तो बेहद ही ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ जिलाधिकारी सी रविशंकर जीरो टालरेंस की मुहिम को अक्षरश पूरा कराने में जुटे है। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने अपना पूरा फोकस गरीब जनता को न्याय दिलाने और उनकी समस्याओं का निस्तारण करने में किया हुआ है। वह अपने—वक्त का पूरा सदुपयोग जनता की सेवा के लिए करते हैं। हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वागीण विकास के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर कार्य कर रहे हैं। इसी के साथ सरकारी विभागों से भ्रष्टाचार को दूर करने का भी उनका पूरा प्रयास है। हालांकि सरकारी महकमों की हालत बेहद खराब है। सरकारी महकमों में डटे अधिकारियों ने जनता की नब्ज को थाम लिया है। वह सरकारी फाइलों की धूल हटाने के नाम पर अवैध तरीके से वसूली करते रहे है। इन तमाम बातों की जानकारी जिलाधिकारी सी रविशंकर को है। जनता की शिकायतों के नहीं आने के चलते वह कोई कार्रवाई नहीं कर पाते है। लेकिन जिलाधिकारी सी रविशंकर विभागीय अनियमितताओं और गलत कार्यो में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करने से गुरेज नहीं करते। यही कारण है कि उन्होंने तमाम विभागों में कार्यरत अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस और उनके स्पष्टीकरण तलब ​किए हुए है।

आपकी जानकारी के लिए बताते चले कि जिलाधिकारी सी रविशंकर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह टाइम वांड कार्य कराते हैं। किसी भी महकमे के अधिकारियों को कार्य की जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही काम को पूरा करने का वक्त निर्धारित करते हैं। जिसके चलते अधिकारियों में कार्य को निर्धारित वक्त पर पूरा करने का खौफ बना रहता है। जिलाधिकारी की ईमानदारी के सामने भ्रष्ट अधिकारियों के पसीने छूटते है।



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