तीन दिवसीय मशरुम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न




मेरठ। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मशरूम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र पर मशरूम निदेशालय सोलन के निर्देश पर अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम आज संपन्न हो गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक शोध अनिल सिरोही ने कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत मशरूम उत्पादन का काम प्रारंभ करना चाहिए, जिससे लोगों को स्वरोजगार मिल सकेगा और उनकी इनकम भी बढ़ेगी। निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन प्रोफेसर आर एस सेंगर ने अपने संबोधन में कहा कि मशरूम की मांग लगातार देश में बढ़ती जा रही है। चीन सबसे अधिक उत्पादन करने वाला देश है। भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। यहां के लोग वेजीटेरियन होने के कारण उन्हें प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है। इसलिए पोषण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मशरूम का अधिक से अधिक उत्पादन किया जाना चाहिए। ताकि लोगों को आसानी से यह उपलब्ध हो सके।

विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर कमल खिलाड़ी ने कहा मशरूम में काफी पौष्टिक गुण होते हैं इसलिए मशरूम का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। प्रोफेसर डी वी सिंह ने अपने संबोधन में कहा यदि आपको अच्छा मशरूम उत्पादक बनना है तो जुनून के साथ मशरूम उत्पादन का कार्य प्रारंभ करना चाहिए। धीरे-धीरे यदि आप इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे तो निश्चित रूप से आगे चलकर एक आप अच्छे मशरूम उत्पादक बन सकेंगे।

कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर गोपाल सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान मशरूम के खाद्य एवं औषधि प्रजातियों के उत्पादन तकनीक पर 50 छात्राओं तथा किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रयोगात्मक कार्य भी कराया गया साथ ही विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा मशरूम के उत्पादन, व्यवसाय, पोषण सुरक्षा, बायोटेक्नोलॉजी की उपयोगिता के अलावा मशरूम की एक छोटी यूनिट बनाकर किस प्रकार से व्यवसाय प्रारंभ किया जाए इसकी संपूर्ण जानकारी प्रशिक्षण में दी गई। प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने मशरूम उत्पादन के तकनीकी ज्ञान के बारे में व्याख्यान दिए



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