नई रेल पटरी का ट्रायल चार इंसान की जिंदगी पर पड़ा भारी, रेलवे प्रशासन की भारी चूक, देखें वीडियो





— हादसे के बाद पुलिस को शवों के पास से मिले दो डेड मोबाइल फोन,
—मृतकों की आयु करीब 30 से 40 साल के बीच, शिनाख्त के प्रयास जारी
नवीन चौहान
हरिद्वार लक्सर मार्ग की डबल पटरी बिछाए जाने का ट्रायल चार इंसानों की जिंदगी पर भारी पड़ गया। ट्रायल इंजन की चपेट में आने से चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वाले व्यक्तियों की आयु करीब 30 से 40 साल के बीच प्रतीत हो रही है। जिसको भी हादसे की खबर मिली घटनास्थल की ओर रवाना हो गया। ज्वालापुर कोतवाली पुलिस, जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे प्रशासन के तमाम आलाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस ने मौके से शव को कब्जे में लेने के अलावा तमाम सबूतों को जुटाया। पुलिस को दो मोबाइल फोन बिलकुल डेड हालत में मिले है। पुलिस अपने स्तर से ही मृतकों की शिनाख्त करने का प्रयास कर रही है। लेकिन इस हादसे में सबसे बड़ी लापरवाही रेलवे प्रशासन की दिखाई पड़ रही है। हालांकि इस पूरे प्रकरण की जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो पायेगी। लेकिन नई रेल पटरी चार जिंदगी पर भारी पड़ गई।
रेलवे पटरी का ट्रायल करने के लिए सुरक्षा के तमाम मानकों को दरकिनार किया गया। ट्रायल से पहले कोई चेतावनी तक नहीं दी गई। आखिरकार इन चार लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार कौन है।
बृहस्पतिवार की शाम को हरिद्वार के जमालपुर कलां सीतापुर रेलवे फाटक के पास रेल हादसे में चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे एसपी मनोज कात्याल, ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी प्रवीण कोश्यारी घटनास्थल पर पहुंच गए। ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद भी तत्काल मौके पर पहुंचे। सभी ने शवों की शिनाख्त का प्रयास किया, लेकिन शव बुरी तरह से क्षत विक्षत हालत में थे। शिनाख्त नहीं हो पाई। विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने घटना के लिए रेलवे प्रशासन को जिम्मेदार उठाया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि रेलवे प्रशासन ने रेल पटरी का ट्रायल करने से पूर्व सावधानी के मानको को पूरा नहीं किया। जनता को कोई चेतावनी जारी नहीं की। जिसके चलते चार लोग हादसे का शिकार हो गए है। आरपीएफ थाना इंचार्ज दीपक सिंह चौहान ने बताया कि मृतकों की शिनाख्त के प्रयास जारी है।

यहां पर हुआ हादसा

बताते चले कि रेल पटरी का परीक्षण करने के दौरान स्पीड करीब 120 की रहती है। ताकि यात्रियों से भरी रेल निकले तो सबकुछ ठीक हो। नई रेलवे लाइन पर ट्रैन गुजारने से पूर्व उसका ट्रायल होता है। इसके लिए दिल्ली से रेलवे प्रशासन की टीम आती है। हालांकि दिल्ली की टीम परीक्षण के दौरान मौजूद थी। टीम की मौजूदगी में ही नई रेलवे लाइन का निरीक्षण हुआ था। लेकिन हादसा उस वक्त हुआ जब ट्रायल इंजन वापिस जा रहा था।



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