वेद ऋचाओं की गूंज से सराबोर हुआ डीएवी प्रांगण, वैदिक चेतना सम्मेलन का शानदार आगाज




हरिद्वार। बच्चों में वैदिक चेतना की अलख जगाने का कार्य कर रहा डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल वेद ऋचाओं की गूंज से सराबोर हो उठा। वेद मंत्रों के उच्चारण पर बच्चों ने शानदार नृत्य कर सब को मंत्र मुुुुग्ध कर दिया। तीन दिनों तक चलने वाले वैदिक चेतना सम्मेलन का शानदार आगाज हुआ। वेदों के विद्वतजनों ने मनुष्य के जीवन में वेद के महत्व पर प्रकाश डाला। बच्चों ने समाज को शिक्षा के लिये पे्रित करने वाली शिक्षा का अधिकार पर नाट्य प्रस्तुति देकर कर सब का मन मोह लिया।
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डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर में तीन दिवसीय वैदिक चेतना सम्मेलन का शुभारंभ गायत्री मंत्र के साथ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के वेद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि वैदिक चेतना डीएवी स्कूल की मूलभूत सोच है। वैदिक विचारधारा ईश्वर की धारा है। गुण धर्म स्वभाव से श्रेष्ठ हो वह आर्य होता है। वेद आर्य बनाने का कार्य करती है। वेदों के ज्ञान से परिपूर्ण मनुष्य ही श्रेष्ठ बनकर देश सेवा कर सकता है। वेद जाति धर्म की बात नहीं करता है। वेद पवित्रता की विचारधारा है। वेदों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ आर्य बनकर सच्चा राष्ट्रभक्त कहलाता है। उन्होंने पांच सूत्र देते हुए कहा कि वेदों का ज्ञान सभी मनुष्य को स्वाबलम्बन, आषावाद, कर्मण्यता, यषस्वी होने की भावना और आस्तिक बनाता है।
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मुुख्य अतिथि विधायक आदेश चैहान ने कहा कि अभिभावकों की कसौटी पर खरा उतरने वाला स्कूल डीएवी है।
डीएवी संस्था देशभर में आर्य बनाने का कार्य कर राष्ट्र की सेवा कर रही है। बच्चों को शिक्षा के साथ वेदों का ज्ञान देकर संस्था बच्चों को संस्कारित बना रही है। उन्होंने कहा कि जिस देश के बच्चे संस्कारिक होगे उस देश में वृद्धाश्रम की जरुरत नहीं होगी। जो बच्चा राष्ट्रभक्त होगा, पितृभक्त होगा, मातृभक्त होगा वही आर्य होगा। आर्यो के देश को विश्व गुरु बनने से कोई नही रोक सकता है।
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डीएवी स्कूल के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने कहा कि शिक्षा बच्चों को संस्कारवान बनाती है। जबकि वेदों को ज्ञान मनुष्य को श्रेष्ठ बनाने का कार्य करते है। डीएवी संस्था अपने स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ वेदों का ज्ञान देकर श्रेष्ठ आर्य बनाने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि वेद मंत्रों की शक्तियां जीवन की कठिनाईयों से पार पाने की शक्ति प्रदान करता है। वेदों के ज्ञान से परिपूर्ण बच्चे ही श्रेष्ठ आर्य बनकर भारत मां के सच्चे सपूत कहलाते है।
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उन्होंने कहा कि बच्चों की पहली शिक्षा अपने अभिभावकों से मिलती है। जबकि स्कूल बच्चों को अभिसिंचित करने का कार्य करते है। बच्चों को अपने माता पिता को आर्दश मानकर जीवन के लक्ष्य को हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिये। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने देश प्रेम से ओतप्रोत शानदार प्रस्तुतियां दी। शिक्षा का अधिकार सहित कई प्रेरक प्रस्तुतियों ने सब का मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन स्कूल की शिक्षिका प्रतिभा शर्मा ने किया। कार्यक्रम में डीएवी स्कूल की पूर्व प्रधानाचार्य रेणुका अरोड़ा, जमदग्नि पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य मीनू शर्मा, एसएम पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य आरएस सूद, षिक्षिका अर्चना, दीपमाला षर्मा, पूनम गक्खड, अनीता भण्डारी, अनीता स्नातिका, हेमलता पाण्डेय, मनोज कपिल सहित नगर के कई गणमान्य लोग अभिभावक व स्कूली बच्चे मौजूद रहे।


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