सिविल लिबर्टी का महत्व समझना होगा: डॉ सुरेखा डंगवाल




हरिद्वार। देवभूमि विचार मंच के द्वारा आपातकाल और लोकतंत्र के संकट 46 वां काला दिवस विषय पर राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया राष्ट्रीय व्याख्यान के मुख्य वक्ता डॉ महेश शर्मा अध्यक्ष एकात्मक मानव अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान नई दिल्ली थे कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल कुलपति दून विश्वविद्यालय देहरादून के द्वारा की गई।
कार्यक्रम में सानिध्य के रूप में भगवती प्रसाद राघव संयोजक प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहे। मुख्य वक्ता डॉ महेश शर्मा ने कहा 1951 से लेकर जिस चुनाव से सत्ता में कांग्रेस आई और 1971 का चुनाव जो बांग्लादेश निर्माण के बाद हुआ उस में भारी बहुमत से कांग्रेस आई। इंदिरा गांधी देश के प्रधानमंत्री बनी लेकिन उनके द्वारा सत्ता के दुरुपयोग करके रायबरेली सीट को हासिल किया गया। हाईकोर्ट का निर्णय आया और उसमें कहां गया कि इंदिरा गांधी 6 वर्ष तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकती और उनकी लोकसभा सीट को भी खतरा पैदा हो गया। आपातकाल के समय गुजरात बिहार में छात्रों के आंदोलन, कर्मचारियों के आंदोलन, जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेल हड़ताल हुई और यह सब आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए।
उस वक्त आंदोलन का मुख्य मुद्दा हमें राज नहीं समाज बदलना है, जयप्रकाश नारायण आंदोलन में आए क्योंकि उस वक्त राजनीति में खुली सिद्धांत हीनता चल रही थी। देश में संविधान के अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर आंतरिक आपातकाल लगा दिया गया था। आपातकाल में सब प्रकार की आजादी जाना, प्रेस पर रोक, राजनीतिक लोगों को जेलों में डाल दिया गया। देशभर में सब संघ कार्यालय को बंद कर दिया गया। देश की संसद बंधक बन गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल कुलपति दून विश्वविद्यालय देहरादून ने करते हुए कहा कि जिस वक्त आपातकाल लगा था उस वक्त बुद्धिजीवी क्या कर रहे थे। जो मौन है तटस्थ हैं उनका भी इतिहास लिखा जाएगा। हमें उन आंकड़ों को भी सामने लाना होगा कि उस वक्त कितने छात्र आंदोलन में थे और कौन-कौन लोग आंदोलन में थे।
प्रोफेसर डंगवाल ने कहा कि हमारे संविधान को रिव्यू किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि जिस तरीके से 25 जून 1975 को संविधान का दुरुपयोग कर आपातकाल लगा दिया गया आने वाले दिनों में जो भारत का लोकतंत्र है वह सुरक्षित रह सके इसके लिए हमें शोध और अनुसंधान भी करने पड़ेंगे।
सिविल लिबर्टी कितनी बड़ी आवश्यकता है इसका महत्व समझना होगा कार्यक्रम के संयोजक डॉ राजेश पालीवाल ने कहा 26 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने रेडियो में संदेश पड़ा और आजाद भारत के इतिहास में आपातकाल लागू हो गया। यानी ऐसा शासन जिसमें जनता की बुनियादी संवैधानिक अधिकार भी उनके हाथ से ले लिए गए। 25 जून 1975 को लोकतंत्र की एक तरह से हत्या हुई। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल लगा दिया। इंदिरा गांधी ने संविधान को हथियार बनाकर जनता के खिलाफ इस्तेमाल किया।
राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन भगवती प्रसाद राघव संयोजक प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिशा निर्देशन में हुआ। कार्यक्रम में डॉक्टर अंजली वर्मा प्रांत संयोजक देवभूमि विचार मंच ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमें उन दिनों के अनुभव को नहीं भूलना चाहिए। अनुभवों से कि हम सब वे सीखते हैं जिनसे हमारा लोकतंत्र मजबूत बनेगा।
कार्यक्रम के आयोजन मंडल में डॉक्टर चैतन्य भंडारी अध्यक्ष देवभूमि विचार मंच, रवि जोशी सह प्रांत संयोजक देवभूमि विचार मंच, डॉक्टर सुनील बत्रा प्राचार्य एसएमजेएन पीजी कॉलेज एवं महानगर संयोजक देवभूमि विचार मंच हरिद्वार, एवं डॉ किरनबाला, डॉक्टर तीर्थ प्रकाश, डॉक्टर शैलेंद्र सिंह, अनुराग अग्रवाल आदि मौजूद रहे।



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