कोरोना संक्रमण के चलते युवा बेरोजगार, पेट भरने के लिए अपराध की राह




नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण के चलते बड़ी तादात में युवा बेरोजगार हो गए है। कारोबारियों के व्यापार चौपट है। फैक्ट्रियों में उत्पादन कार्य बेहद धीमा है। बाजार की दुकानों पर ग्राहकों का अभाव है। प्रॉपटी कारोबार पूरी तरह से बंद है। गरीब मजदूरों को कोई काम नही है। गरीब जनता को अपना घर चलाने के लिए पैंसे नही है। ऐसे में पेट भरने के लिए युवा अपराध की राह पकड़ सकते है। आने वाले वक्त में अपराध का ग्राफ बड़ी तेजी से ऊपर की ओर जाने वाला है। अगर कोरोना संक्रमण के हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की स्थिति बेहद खराब होने वाली है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार की अग्नि परीक्षा की घड़ी है। कोरोना संक्रमण से जनता को सुरक्षित बचाकर रखने के साथ ही देशवासियों की खुशहाली को बरकरार रखने की चुनौती है। देखना होगा कि मोदी सरकार कौन से प्रभावशाली कदम उठाने वाली है। जिससे देश की जनता सुखी रह सकें।
चीन के बुहान से भारत में प्रवेश कर चुका कोरोना संक्रमण अपने असली रंग में आने लगा है। कोरोना संक्रमण से ज्यादा खतरा भारत की जनता को भुखमरी का लग रहा है। गरीब जनता भुखमरी के कगार पर पहुंच रही है। विगत छह महीनों में देश की अर्थव्यवस्था बेहद खराब हो चुकी है। बैंकों का कर्ज लोगों की नींद उड़ा रहा है। अगर हरिद्वार की बात करें तो यहां पर पर्यटन कारोबार पूरी तरह से ठप है। दुकानदारों ने अपने सेल्समैन को नौकरी से निकाल दिया है। कंपनियों ने अपने यहां कर्मचारियों की छटनी कर दी है। काफी संख्या में युवाओं को नौकरी से निकाला जा चुका है। सिडकुल की कंपनियों में उत्पादन कार्य नाम मात्र को हो रहा है। हरिद्वार का प्रॉपर्टी कारोबारी खाली हाथ बैठा है। बाजार में निवेश करने वाले लोगों ने हाथ पीछे खींच लिए है। जिसका नतीजा ये रहा कि लोगों को दो वक्त की रोटी का संकट आन पड़ा है। राज्य सरकार गरीबों के हित में कोई प्रभावशाली कदम नही उठा पाई है। कोरोना संक्रमण से मुकाबला करने में जुटी सरकार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की वास्तविक स्थिति से पूरी तरह से अंजान है। बच्चों की फीस भरने के लिए पैंसे नही है। हरिद्वार के टैक्सी चालकों से बातचीत की तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया। एक चालक ने बताया कि एक महीने में एक चक्कर लग रहा है। सरकार ने तीन महीने का टैक्स माफ किया है। इससे कोई भला होने वाला है। खड़ी—खड़ी गाड़ी के शीशे चटक रहे है। ऐसे में अपने परिवार का पेट भरना दूभर हो गया है। ये तो एक टैक्सी चालक की स्थिति थी। वही दूसरी ओर डेली मजदूरी करने वाले मजदूरों के घरों की हालत तो बेहद ही दर्दनाक है। बीमार बच्चे, रोटी का संकट और बेरोजगारी भूखे पेट सोने को विवश कर रही है। ये तमाम हालात एक खतरनाक संकेत की ओर इशारा कर रहे है। अगर आने वाले कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा तो युवा अपराध की राह पकड़ सकते है। पुलिस की चुनौतियां बढ़ जायेगी। लेकिन अगर युवा पेट भरने के लिए अपराधी बने तो ये सरकार की नाकामी को दर्शायेंगा। ऐसे में सरकार की सबसे पहली जिम्मेदारी देश की जनता की भूख को मिटाना है।



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