हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी महाराज ने प्रैस को जारी एक बयान में कहा है कि भूमा निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी अच्युतानन्द महाराज 24 फरवरी को स्वयं को स्वयंभू शंकराचार्य घोषित करने जा रहे हैं। जोकि निन्दनीय एवं असहनीय है। उन्होंने कहा कि वे सभी सनातन धर्मियों को यह बताना चाहते हैं कि भारत वर्ष में चार शंकराचार्य पीठ मान्य हैं। जिनमें श्रंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज, पुरी और गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद महाराज तथा ज्योतिष एवं द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज हैं। इनके अलावा जो भी अपने को स्वयंभू शंकराचार्य लिखत है। अखाड़ा परिषद उसको अमान्य मानता है। 24 फरवरी को यदि स्वामी अच्युतानंद महाराज अपने को स्वंयभू शंकराचार्य घोषित करते हैं, तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद उन्हें साधु समाज से बहिष्कृत करेंगा। इसके अलावा जो संत इस समारोह में जाएंेंगे उन्हे भी संत समाज से बहिष्कृत माना जाएगा। खुद को स्वयंभू शंकराचार्य घोषित करने वाले का विरोध करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरी, प्रवक्ता महंत मोहनदास महाराज, महंत रविन्द्रपुरी आदि संतों ने भी खुद को शंकराचार्य घोषित करने का विरोध किया है। गौरतलब है कि भूमा निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी अच्यूतानंद महाराज की और से हरिपुर स्थित अद्भूत मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर 24 व 25 फरवरी को आदि जगद्गुरू श्री शंकराचार्य मठाम्नाय पीठ अभिनंदन समारोह का आयोजन किया जा रहा है।