सेना ने नही भारत के टीवी चैनलों ने पाकिस्तान को धोया




-रणनीति बनाना नही जनता के गुस्से को बरकरार रखना मीडिया का काम
नवीन चौहान, हरिद्वार।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान से बदला लेने की आवाजें उठ रही हैं। हर कोई चाहता है कि इस बार पाकिस्तान का नाम नक्शे से हटा दिया जाए। ऐसा होना भी चाहिए। आखिर कब तक भारत बिना युद्ध के अपने जवानों की इस प्रकार से शहादत देता रहेगा। पुलवामा हमले के बाद जहां देशवासियों में गुस्सा है। वहीं भारतीय सेना भी पाकिस्तान की नापाक हरकतों के लिए उसको सबक सिखाने की रणनीति के तहत कार्य कर रही है। केन्द्र की मोदी सरकार ने भी भारतीय सेना को खुली छूट दे दी है। अब सेना और सरकार ठोस रणनीति के आधार पर सटीक मौके का इंतजार कर रही है, जिसका स्पष्ट उल्लेख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने बयानों में कर भी चुके हैं। पाक को घेरने के लिए सरकार ने कूटनीति प्रयास शुरू भी कर दिए हैं। जिसका असर दिखाई भी देने लगा है। हालांकि यह प्रयास पाक को पानी पिलाने के लिए नाकाफी हैं। परन्तु भारत की रणनीति किसी बड़े तुफान से पहले की शांति की ओर इशारा कर रही है। जिसको सभी देशवासियों को समझना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह जानिए की केन्द्र सरकार की विदाई भी तय है। पाकिस्तान को भारतीय सेना किस प्रकार सबक सिखाएगी यह तो समय ही बताएगा, किन्तु पाक जिस तरह से डरा और सहमा नजर आ रहा है। उसको भारत की ताकत और देशवासियों के गुस्से तथा सेना की रणनीति और सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई देने लगी है। पाक को सबक कैसे सिखाया जाएगा, क्या हमला होगा या नहीं यह कोई नहीं जानता। बावजूद इसके पाक को पुलवामा हमले की भारी कीमत तो अवश्य चुकानी पड़ेगी। हर देशवासी यही चाह भी रहा है कि पाक का वजूद मिटा दिया जाए। किन्तु बिना रणनीति के रणक्षेत्र के मैदान में उतरने को भी उचित नहीं कहा जा सकता। इन सबके बीच पुलवामा के बाद एक युद्ध टीवी चैनलों पर जरूर शुरू हो चुका है। भले ही वह सीमा पर न हो, किन्तु टीवी चैनलों पर इसका मंजर दिखाई दे रहा है। हर एक समाचार टीवी चैनल पाक पर शब्द व रणनीति के ऐसे बाण चला रहा है जैसे शब्दों के बाणों से पाक की समझ में सब कुछ आ जाएगा। यदि ऐसा होता तो पुलवामा जैसी घटना ही नहीं होती। हर पल किसी न किसी चैनल पर पाक को भारत कैसे करेगा नेस्तनाबूत, हवाई हमले से तोड़ी जाएगी पाक की कमर, राफेल उड़ाएगा पाक की धज्जियां, सेना ने मोर्चा संभाला आदि-आदि ऐसे शो दिखाए जा रहे हैं जैसे युद्ध सेना नहीं मीडिया लड़ेगा। यह सत्य है कि देश के गौरव का बखान होना चाहिए, किन्तु चैनलों को अपनी टीआरपी बढ़ाने से अधिक इस बात पर ध्यान देना चाहिए जिससे कहीं हम देश की रणनीति को सबके सामने उजागर कर देश का अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान तो नही पहुंचा रहे है। जिस हालात से देश गुजर रहा है और वीर शहीदों को खोने का गम क्या होता है, इससे सभी देशवासी भलीभांति परिचित हैं, किन्तु जोश में होश खो देने से युद्ध नहीं जीते जाते। धैर्य के साथ सभी को सरकार और सेना के कदम का इंतजार करना चाहिए। हां यदि इंतजार लम्बा होता है तो यह हमारी कमजोरी को प्रदर्शित करेगा। समय रहते हुए ठोस रणनीति के साथ हमें युद्ध के मैदान में उतरना चाहिए और मीडिया को भी चाहिए की वह अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए देश की सुरक्षा व रणनीति से संबंधी जानकारी को साझा न करे जिससे देश को नुकसान हो। हां मीडिया का काम इतना जरूर है कि जो देशवासियों के दिलों में अपने जवानों को खोने का गुस्सा है उसे कम न होने दे। जिससे पाक पर कड़े से कड़ा प्रहार जन भावनाओं के अनुरूप सेना कर सके। मीडिया का काम सेना का मनोबल बढ़ाना भी है। भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस का परिचय कई बार दिया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को कई बार धूल चटाई है। इसीलिए भारतीय सेना निश्चित तौर पर पाकिस्तान को एक बार फिर उसकी औकात दिखायेगी।



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