आयुर्वेद और एलोपैथ दंपति ने कोरोना काल में पेश की मानवता की मिशाल, गरीबों का निशुल्क इलाज





नवीन चौहान
आयुर्वेद और एलौपैथ दंपति ने कोरोना संक्रमण काल में मानवता की मिशाल पेश की है। सैंकड़ों कोरोना संक्रमित मरीजों का निशुल्क​ इलाज किया है। मरीजों को अपने—घर पर रखकर सेवा की है। इस दंपति ने संयुक्त रूप से मरीज की शारीरिक और मानसिक स्थिति को देखते हुए इलाज किया। जी हां हम बात कर रहे है कनखल के जगजीतपुर स्थित आनंदम हॉस्पिटल के स्वामी डॉ केएन गंभीर और उनकी धर्मपत्नी वैदिक काया पंच​कर्म सेंटर की संचालिका और आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ पूनम गंभीर की।
आयुर्वेद की प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ पूनम गंभीर ने कोरोना संक्रमण काल में मानवता की सच्ची मिशाल पेश की है। उन्होंने सैंकड़ों गरीब कोरोना संक्रमित मरीजों का निशुल्क इलाज किया है। यही कारण है कि उनकी ख्याति देश विदेशों में फैली है। विदेशों से भी तमाम कोरोना मरीज आयुर्वेदिक औषधियों की जानकारी लेते है। वही डॉ पूनम गंभीर ने भी कोरियर के जरिए मरीजों को दवाईयां भेजी है। उनका मानना है कि चिकित्सक का पहला धर्म मानव सेवा है। एलौपैथी और आयुर्वेद दोनों ही चिकित्सा पद्धति है। दोनों अपने—अपने तरी​के से बीमार मरीजों का इलाज करते है। बस चिकित्सक को अपना कार्य ईमानदारी से करना चाहिए। दोनों चिकित्सा पद्धति में बेहतर कौन है, इस विवाद में ना पड़ते हुए मानव सेवा ही चिकित्सक का पहला धर्म है।
बताते चले कि डॉ पूनम गंभीर गुरूकुल कांगड़ी आयुर्वेदिक कॉलेज की छात्रा रही है। डॉ पूनम शुरूआती दौर से ही मानव सेवा का संकल्प कर शिक्षा ग्रहण कर रही थी। छात्र जीवन में वह पेड़ पौधों को संरक्षित करने का कार्य करती थी। गुरूकुल कांगड़ी के शुद्ध वातावरण में ​आयुर्वेद का ज्ञान अर्जित करने के बाद डॉ पूनम गंभीर का विवाह ह​रिद्वार के नामी एलोपैथी चिकित्सक डॉ केएस गंभीर से हुआ। डॉ केएस गंभीर की ख्याति दूर दराज तक फैली थी। विभिन्न आश्रमों के संतों की सेवा और रामकृष्ण मिशन में सेवा प्रकल्पों से डॉ केएन गंभीर जुड़े रहे। संतों को निशुल्क दवाई देने और स्वामी विवेकानंद के ज्ञान की छाप उनके व्यक्तित्व पर है। डॉ केएन गंभीर और डॉ पूनम परिणय बंधन में बंधे तो एक ही छत के नीचे एलौपैथी और आयुर्वेद आ गया। आयुर्वेद और एलोपैथी दंपति ने मरीजों की सेवा संकल्प को आगे बढ़ाया लेकिन कभी टकराव की नौबत नही आई।
साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने भारत में प्रवेश किया तो एलौपैथी चिकित्सक डॉ केएन गंभीर को भी कोरोना ने अपनी चपेट में लिया। डॉ गंभीर के स्वास्थ्य में गिरावट आई तो उनकी पत्नी डॉ पूनम गंभीर ने दिन रात सेवा की। आयुर्वेदिक औषधियों के संपूर्ण ज्ञान का उपयोग अपने पति के जीवन को कोरोना से बचाने में समर्पित किया। डॉ पूनम ने एलौपैथी चिकित्सकों से भी राय ली और आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से डॉ केएन गंभीर को बिलकुल स्वस्थ किया। हालांकि बेहद ही सरल स्वभाव और आईएमए से जुड़े होने के चलते डॉ केएन गंभीर आयुर्वेद के बारे में बोलने से बचते है।
हरिद्वार का यह दंपति अपने आप में एक मिशाल पेश करता है। एलोपैथी और आयुर्वेद का संगम ही भारत को निरोगी काया की अवधारणा को साकार कर सकता है। फिलहाल कोरोना संक्रमण का खतरा कुछ कम हुआ है। लेकिन कोरोना संक्रमण जिंदा है। हम सभी को सतर्क रहना है और सुरक्षित रहना है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना है।



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