नवीन चौहान
विश्व पटल पर ख्याति अर्जित कर रहे आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ दीपक वैद्य का नाम किसी परिचय का मोहताज नही है। उनके आयुर्वेदिक ज्ञान का लाभ देश— विदेश के तमाम मरीजों को मिल रहा है। इसी के चलते उनकी ख्याति भी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी बात है कि यह है कि वह मनुष्य को बीमारियों से बचाने के लिए जागरूक करते है। जिससे मनुष्य स्वस्थ शरीर के साथ जीवन का आनंद ले सके।
इसी क्रम में उन्हो्ंने कफ के संबंध में विस्तृत जानकारी दी है।
मित्रों क्या आपको पता है कि आपका शरीर कैसा है? आयुर्वेद में शरीर को तीन तरह का माना जाता है – वात, पित्त और कफ। आयुर्वेद के अनुसार, हम सभी का शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है, जिसके अनुसार उसकी बनावट, दोष, मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है। इन दोषों में किसी एक के भी ज्यादा होने से आपके ऊपर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप कफ दोष के विषय में जानना चाहते हैं, तो मैं आपको उसके लक्षण और उससे निपटने के उपाय बता रहा हूँ मेरा यह लेख प्रेक्टिस कर रहे चिकित्सक भाइयों को भी लाभ पहुचायेगा इस आशा और विश्वास के साथ इस लेख को लिख रहा हूँ ,तो मित्रों–
कफ दोष तीनों दोषों में धीमा और संतुलित माना जाता है और ये अन्य दो दोषों के उत्पादन और कामकाज को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। ये आपकी स्किन को मॉश्चराइज्ड करने, जोड़ों को चिकना करने, लिबिडो बढ़ाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। वात और पित्त के ज्यादा होने पर आपके ऊतकों को नुकसान होने से बचाकर आपको मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूती प्रदान करता है।
कफ का असंतुलन स्वास्थ्य के लिए बुरा क्यों है?
कफ दोष के ज्यादा होने के बुरे प्रभावों में से एक मोटापा है। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, कफ प्रकृति वाले लोगों के शरीर का वजन तेजी से बढ़ता है। इसलिए ये दोष आपके शरीर के लिए बुरा माना जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि कफ प्रकार के शरीर वाले लोगों का वजन ज्यादा होता है और आम लोगों की तुलना में सुस्त होते हैं।
कफ दोष बढ़ने से मुंह में मीठे का स्वाद, त्वचा का पीला होना, शरीर में ठंडापन, खुजली, पेशाब और पसीने से जुड़ी समस्या, बेचैनी, साइनसाइटिस, कोल्ड, मुंह और आंख से मोकस सिक्रेशन का बढ़ना, अस्थमा, खराश , खांसी और डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वात और पित्त के साथ शरीर में कफ का संतुलन सही होना जरूरी है। कफ के बढ़ने पर 28 प्रकार के रोग आपको घेर सकते हैं। लेकिन इनसे बचने के लिए आपको ऐसी चीजों से बचना होगा, जो कफ पैदा करती हैं या कफ को बढ़ा सकती हैं। आइए जानते हैं कौन सी चीजें कफ में न खाएं और किन चीजों का सेवन करें –
वसायुक्त चीजों का सेवन कफ बढ़ाने का काम करती हैं इसलिए जितना हो सके इनसे बचने की कोशिश करें।
दूध कफ को बढ़ाता है। अगर आपकी कफ प्रकृति है तो आपको दूध का सेवन कम करना चाहिए या फिर हल्दी के साथ इसका सेवन करें।
कफ बढ़ने पर मांस का सेवन आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए कफ होने पर मांस का सेवन करने से बचें और अगर कफ की तासीर हो तो मांस का सेवन कम से कम करें।
मक्खन में वसा अधिक होता है, इसलिए यह कफ बढ़ाने का काम करता है। कफ की समस्या में मक्खन या मक्खन युक्त चीजों का सेवन न करें।
पनीर से कफ तो बनता ही है, कई लोगों को पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती है क्योंकि कुछ लोगों को पनीर आसानी से नहीं पचता। इसलिए अतिसेवन न करें।
अब मैं आपको बताऊंगा कि कफ प्रवृत्ति वाले क्या खाएं और नियमित भोजन में शामिल करने योग्य आसान बस्तुएं जो वास्तव में आयुर्वेदिक औषधि है।
- सुबह या दिन के भोजन के बाद गुड़ का सेवन फायदेमंद हो सकता है। गुड़ की तासीर गर्म होती है, यह कफ को कम करने के साथ ही पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
- तुलसी, सौंठ, अदरक और शहद जैसी चीजों का सेवन कफ को कम करने में बहुत फायदेमंद होता है, तो इन्हें किसी भी तरह से अपने भोजन में शामिल करें।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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