छठ पूजा के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने किया पौधा रोपण




सोनी चौहान
पूर्वांचल की संस्कृति का पर्व छठ पूजा पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी को छठ पूजा की शुभकामना दी और रूद्राक्ष के पौधों को लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प किया।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्टी को भगवान सूर्य की आराधना का पर्व मनाया जाता है। वेदों, उपनिषदों और अनेक वैदिक ग्रन्थों में भगवान सूर्य की आराधना का उल्लेख किया गया है परन्तु चार दिनों तक चलने वाला यह उत्सव वास्तव में अद्भुत है इसमें उद्यमान सूर्य और अस्त होते सूर्य को अध्र्य देकर व्रत करना एक कठिन तपस्या है।
पूर्वांचल की संस्कृति का पर्व छठ पूजा अब पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व में पूर्वांचल लोक संस्कृति की अनूठी झलक दिखायी पड़ती है ।


छठ पूजा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देश वासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि प्रकृति के सान्निध्य में मनायें जाने वाला यह पर्व सामूहिकता, सादगी और पवित्रता का प्रतीक है। यह पर्व पर्यावरण अनुकूल है। मानव जीवन के लिये सूर्य, नदियों और प्रकृति के महत्व को दर्शाता है। 36 घन्टे का यह पर्व 365 दिनों तक शरीर को सकारात्मक ऊर्जा देता है।
शास्त्रों के अनुसार छठ पर्व की शुरूआत महाभारत काल में हुई थी। देव माता अदिति ने छठ पूजा का आरम्भ किया था। भगवान सूर्य को आरोग्य का देवता माना जाता है। सूर्य की किरणों में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। सूर्य की किरणे आक्सीजन की तरह जीवन के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वामी जी ने कहा कि वास्तव में छठ पूजा हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा अनुसंधान की गयी सूर्य की विशेष पूजा पद्धति है जो की आरोग्य एवं समृद्धि प्रदान करती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं को छठ पूजा का महत्व समझाते हुये कहा कि हमारे पर्व का सीधा सम्बंध हमारी प्रकृति से है। भारतीय संस्कृति वृक्षों, नदियों, पर्वतों और सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह नक्षत्रों की पूजा-अर्चना कर यह संदेश देती है कि हमारा जीवन प्रकृति के अनुकूल ही हो। अगर हम प्रकृति के प्रतिकूल आचरण करते है तो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा बल्कि हमारी आस्था भी आहत होगी अतः उत्सव ऐसे मनाये जो पर्यावरण के अनुकूल हो।
परमार्थ गंगा आरती में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी श्रद्धालुओं को प्रकृतिमय जीवन जीने का संकल्प कराया। छठ पूजा के अवसर पर परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने स्वामी के सान्निध्य में रूद्राक्ष के पौधों लेकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प किया।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *