मेरठ।
सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दुनिया भर में स्वस्थ रहने और पर्यावरण की आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर चौथी वैश्विक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके मित्तल ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन उद्यान महाविद्यालय सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं हाईटेक हॉर्टिकल्चर सोसाइटी एवं सोसाइटी फॉर रीसेंट डेवलपमेंट इन एग्रीकल्चर के सौजन्य से किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आरके मित्तल ने करते हुए कहा कि देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है इसके लिए खाद्यान्न उत्पादन मूल्य कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कृषि विविधीकरण के साथ-साथ उसमें लोकल रिसोर्सेज का प्रयोग किया जाना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा डिजिटल इंडिया के कदम लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें बायोफोर्टिफिकेशन, बायो पेस्टिसाइड्स, ऑर्गेनिक फार्मिंग, नैनो फार्मिंग, बायो इनफॉर्मेटिक्स, इंटरनेट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि का प्रयोग खेती में लगातार बढ़ रहा है। इससे आगामी वर्षों में खेती में काफी परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
उन्होंने बताया कि हाई क्वालिटी इंस्टीट्यूशंस लीडरशिप का होना भी बहुत जरूरी है। युवाओं को गांव में रोककर उनको रोजगार उपलब्ध कराना भी जरूरी है। इसके लिए गांव में एग्रो एडवाइजरी सर्विसेज एग्री क्लीनिक आदि की व्यवस्था करके और रोजगार उपलब्ध कराना होगा। जिससे युवा गांव से जुड़कर खेती को करें और उसे प्रॉफिट कमा कर अपने जीवन यापन को अच्छी तरह से चला सके। यदि गांव में रोजगार उपलब्ध होंगे तो युवा गांव में रुक कर खेती को और अच्छी तरह से कर सकेगा।
डॉक्टर आरके मित्तल ने कहा विश्वव्यापी स्तर पर जारी वैज्ञानिक अनुसंधान ओ और तकनीकी विकास का प्रभाव प्राय: जीवन से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र में देखा जा सकता है। कृषि क्षेत्र भी इस प्रगति से अछूता नहीं है। हाल ही के समय में कृषि से संबंधित उभरती हुई नई तकनीकों का उपयोग बढ़ेगा। इनकी मदद से किसी उत्पादन में निरंतर बढ़ोतरी के साथ-साथ कृषक आमदनी में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर अरविंद कुमार विशिष्ट अतिथि के रुप में बोलते हुए कहा कि भारत में खाद्यान्न उत्पादन ही नहीं फल फूल एवं सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में भी काफी प्रगति हुई है। लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि हम खाद्यान्न सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा के साथ-साथ कहा कि पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा की मृदा में कार्बन की मात्रा घटती जा रही है उसको भी बढ़ाने की आवश्यकता है।
कुलपति ने बताया कि देश में 9.2 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में माइक्रो इरिगेशन सिस्टम लगाया जा चुका है। इसको और बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फल फूल एवं सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में वन ड्रॉप मोर क्रॉप की तरफ ध्यान देना होगा, जिससे पानी की बचत होगी और उत्पादन भी अच्छा मिल सकेगा। अब हम लोगों को कम केमिकल वाले खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा देना होगा, जिससे उसका हम निर्यात कर सकें।
एग्रीकल्चर कमिश्नर भारत सरकार डॉ एसके मल्होत्रा ने कहा अब हमको अधिक पानी में उगने वाली फसलों को कम करना होगा और ऐसी फसलों का चुनाव करना होगा जिसमें कम पानी लगता हो। हमें सब्जी एवं फल फूल उत्पादन को बढ़ावा करने के लिए पोस्ट हार्वेस्ट लॉसेस को रोकना होगा एवं इंटीग्रेटेड फूड कूलिंग चैन के द्वारा पोस्ट हार्वेस्ट लॉसेस को कम करना होगा। देश के अंदर फल फूल उत्पाद को सुरक्षित रखने के लिए स्टोरेज कैपेसिटी को बढ़ाना होगा
उन्होंने कहा कोरोना महामारी के दौरान किसानों ने सराहनीय कार्य किया जिसकी बदौलत सभी लोगों को रसीले फल, अदरक, हल्दी, मसाले आदि भरपूर मात्रा में मिलते रहे और उन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर का काम किया। जिससे लोग ठीक रह सके इन सभी फलों एवं मसालों की मांग अब लगातार देश में बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि देश में शहद के विकास के लिए विकार किया जा रहा है सरकार जगह-जगह पर शहद को टेस्ट करने के लिए लैब का निर्माण सरकार द्वारा कराया जा रहा है। इस वर्ष को इंटरनेशनल ईयर आफ फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स के रूप में मनाया जा रहा है। भारत सरकार ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर आफ वेजिटेबल्स के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
एडिशनल डिप्टी डायरेक्टर जनरल आईसीआर डॉक्टर पीएस पांडे ने कहा डिजिटल एग्रीकल्चर नया क्षेत्र है। इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि अच्छे डाटा को कलेक्ट कर के अच्छा कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर में अधिक से अधिक इन्वेस्टमेंट करके अच्छा ह्यूमन रिसोर्स विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा पोस्ट हार्वेस्ट लॉसेस को रोकने के साथ डिमांड और सप्लाई को बैलेंस करना होगा तथा फूड इको सिस्टम को बनाए रखना होगा।
एडीजी प्रसाद डॉ रणधीर सिंह ने कहा क्लाइमेट चेंज के कारण खाद्यान्न उत्पादन एक बड़ी चुनौती है। बहुत सारी तकनीकी विकसित की जा चुकी है। इनको किसानों तक पहुंचाने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है उन्होंने कहा आईसीआर आईसीटी के माध्यम से किसानों तक पहुंचने की कोशिश लगातार कर रही है और पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि आईसीटी से किसानों को काफी फायदा भी हुआ है।
डॉक्टर पीएस पांडे ने कहा हमें जीरो हंगर की तरफ ध्यान देना है हमारे देश में अभी तक 17 बायोफोर्टिफिकेशन के द्वारा प्रजातियां विकसित की जा चुकी हैं। जिससे लोगों को पोषण सुरक्षा मिल सकेगी।
इस कार्यक्रम मैं स्वागत भाषण वेबिनार के निदेशक एवं उद्यान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ बृजेंद्र सिंह द्वारा किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर बीआर सिंह ने दिया तथा संचालन आईआईएफएसआर की वैज्ञानिक डॉक्टर पूनम कश्यप द्वारा किया गया। वेबिनार में 450 से अधिक शिक्षकों, वैज्ञानिकों, प्रसार कार्यकर्ताओं एवं छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया।
इन लोगों को मिला अवार्ड
कृषि के विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके मित्तल को हुकुम सिंह मेमोरियल अवॉर्ड 2020 पुरस्कार हाईटेक हॉर्टिकल्चर सोसाइटी एवं प्रेरणा फाउंडेशन द्वारा दिया गया।
इसके अलावा डॉ अरविंद कुमार कुलपति रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2020, इसके अलावा डॉ एसके मेहरोत्रा कृषि कमिश्नर भारत सरकार नई दिल्ली को भी लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2020 से पुरस्कृत किया गया।
ऑलरेडी फेलोशिप अवार्ड 2020 के लिए डॉक्टर डीआर सिंह वाइस चांसलर चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, डॉ राजकुमार पूर्व कुलपति सैफई मेडिकल कॉलेज इटावा, डॉ विनोद कुमार डायरेक्टर एलएनजेपी हॉस्पिटल नई दिल्ली को दिया गया।
डॉक्टर पूनम कश्यप आईआईएफएसआर को गोल्ड मेडल तथा प्रोफेसर शमशेर को फेलोशिप अवार्ड तथा डॉ विपिन कुमार को गोल्ड मेडल अवार्ड 2020 प्रदान किया गया। इसके अलावा अन्य पुरस्कार भी वैज्ञानिकों को दिए गए।