नवीन चौहान.
भाजपा से निष्कासित हरक सिंह रावत अपनी बहू अनुकृति के साथ आज कांग्रेस में शामिल हो गए। उनकी वापसी पर समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस भवन देहरादून में आतिशबाजी भी की। हालांकि चर्चा है कि हरक सिंह को कांग्रेस में वापसी के लिए आला कमान की काफी मानमनोव्वल करनी पड़ी। उनकी वापसी भी पार्टी आलाकमान ने अपनी शर्तों पर की है।
बीते रविवार को भाजपा ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था। भाजपा से निकाले जाने के बाद वह कांग्रेस में वापसी के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत उनकी इस राह में रोड़ा बने हुए थे। कांग्रेस से जिस समय हरक सिंह रावत ने नाता तोड़ा था उस समय हरीश रावत सीएम थे।
हरीश रावत नहीं चाहते थे कि जिनकी वजह से उनकी सरकार पर आंच आयी वह फिर से पार्टी में आए। यही वजह रही कि छह दिन से हरक सिंह रावत पार्टी में शामिल नहीं हो पा रहे थे। इस दौरान हरक सिंह रावत ने बयान भी दिया कि हरीश रावत उनके बड़े भाई है वह उनसे सौ बार माफी मांगने के लिए तैयार हैं।
दरअसल हरक सिंह रावत भाजपा से अपने अलावा अपनी बहू अनुकृति के लिए भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी एक परिवार एक टिकट के सिंद्धात पर ही टिकट देने के लिए राजी थी। जिसके बाद हरक सिंह रावत पार्टी से नाराज रहने लगे। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं से अपनी नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी तो पार्टी ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था।
अब सूत्रों से खबर है कि एक टिकट की शर्त पर ही हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी हुई है। अब चाहे वह पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े या अपनी बहू को टिकट पर चुनाव लड़ाए। माना यही जा रहा है कि वह अपनी बहू को टिकट पर चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हुए हैंं
सोनिया व राहुल गांधी की हरी झंडी के बाद हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने का अंतिम फैसला किया गया। हरक की वापसी में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह व प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव लंबे समय से जुटे हुए थे।