नवीन चौहान, हरिद्वार। निकाय चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे चुनावी माहौल भी गर्माता जा रहा है। चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी व उनके समर्थक एक-दूसरे की कलई खोलने में लगे हुए हैं। अपवाद छोड़ दें तो कोई प्रत्याशी ही ऐसा बचे जिसका कोई राज न हो। हर कोई प्रत्याशी अपनी जीत के दावे कर रहा है। मगर जीत किसका वरण करेगी वह तो मतगणना के साथ 20 नवम्बर को ही साफ हो पाएगा। बहरहाल प्रत्याशी एक-दूसरे की पोल खोलने में लगे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि निकाय चुनाव में पूरे दमखम के साथ ताल ठोककर मैदान में उतरे एक प्रत्याशी पर नकली नोटों के साथ पकड़े जाने का आरोप है। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा भी जोरों पर है। वहीं बताया यह भी जाता है कि प्रत्याशी जनपद के एक थाना क्षेत्र में देह व्यापार में भी पकड़ा जा चुका है। राजनैतिक दवाब के कारण मामले को पुलिस ने बाहर ही निपटा दिया था। वैसे प्रत्याशी भले ही चुनाव मैदान में हो, किन्तु चुनाव तो किसी और की प्रतिष्ठा का प्रश्न है। चुनाव जीतने के बाद रिमोट के जरिए ही काम लिया जाएगा। प्रत्याशी के आका जैसे निर्देश देंगे वैसे ही कार्य का संचालन होगा। अब सोचिए जो देह व्यापार जैसे अनैतिक कार्य में संलिप्त रहा हो तथा नकली नोटों के साथ जो देशद्रोह जैसे कार्यों में संलिप्त रहा हो वह कैसे देश, शहर व समाज की सेवा ईमानदारी के साथ कर सकता है। अब यह जनता का विवेक है कि वह देशद्रोहियों को शहर की सत्ता की चाबी सौंपती है या फिर अन्य किसी और को। जीत जिसका भी वरण करे सभी पहले अपना ही भला करेंगे जनता तो बाद की बात है।