1857 की क्रांति के नायक बाबा नरपत सिंह के बलिदान दिवस पर उनके वंशजों को किया सम्मानित




मेरठ।
1857 की क्रांति के सरधना के नायक बाबा नरपत सिंह के गांव अकलपुरा में शनिवार को उनके बलिदान दिवस पर उनके वंशजों को सम्मानित किया। इस दौरान वक्ताओं ने राजपूतों के इतिहास पर युवाओं को विस्तार से जानकारी दी। बाबा नरपत सिंह का बलिदान दिवस 22 जुलाई को मनाया जाता है।

“राजपूत चेतना मंच मेरठ” द्वारा बाबा नरपत सिंह के बलिदान दिवस पर उनके गांव अकलपुरा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मेरठ के प्रसिद्ध इतिहासकार अमित पाठक ने बाबा नरपत सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया की किस प्रकार नरपत सिंह के नेतृत्व में किसानों ने अपने परंपरागत देसी हथियारों के बल पर अंग्रेज सैन्य अधिकारी मेजर डनलप का विरोध किया और गांव में अपने जीते जी घुसने नहीं दिया। ग्रामीणों ने बाबा नरपत के साथ मिलकर मरते दम तक अंग्रेजों के साथ लोहा लिया।

डॉ अमित पाठक ने बताया कि अंग्रेज अधिकारी डैनलोप ने बासोद गांव जो बड़ौत के पास है को तबाह कर बाबा शाहमल का ​सिर काट कर हर्रा में रात को विश्राम किया और सुबह चुपचाप अकलपुरा को घेर लिया। लेकिन यह डैनलोप अपने पुस्तक में लिखता है कि ग्रामीणों को हमसे आगे की जानकारी मिल जाती थी। अकलपुरा में बाबा नरपत सिंह के पास सेना तो नहीं थी लेकिन जांबाज किसानों का एक हरावल दस्ता था। जिन्होंने अपने देसी हथियारों बल्लम, गंडासों आदि के बल पर अंग्रेजों से लोहा लिया और मरते दम तक अंग्रेजों को गांव में नहीं घुसने दिया। सब ग्रामीणों का कत्ल करने के बाद ही डैनलोप गांव में घुसा और उनकी जमीन छीन ली। उसका दुष्परिणाम है कि परिवार अब तक दुख भोग रहा है।

कार्यक्रम का शुभारंभ क्रांति के नायक बलिदानी बाबा नरपत सिंह और भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्चन से प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर उपस्थित राजपूत चेतना मंच के संरक्षक शैलेंद्र चौहान ने राजपूतों के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को भी राजपूतों के इतिहास का ज्ञान कराना होगा। उन्होंने बताया कि भारत का इतिहास राजपूतों ने अपने खून से लिखा है। लेकिन इस बात को हम स्वयं भूल बैठे हैं। हमारी नई पीढ़ी को इस इतिहास का ज्ञान नहीं है। इस ज्ञान के बारे में उन्हें इसलिए भी जरूरी है ताकि भावी पीढ़ी भी इतिहास को जान सके।

राजपूत चेतना मंच के अध्यक्ष कमल सिंह चौहान ने कहा कि राजपूत चेतना मंच गुमनाम और अज्ञात अपने स्वतंत्रता सेनानी क्रांति के बलिदानियों को इसी प्रकार पटल पर लाकर सम्मानित करता रहेगा। कहा कि गांव में नरपत सिंह की मूर्ति स्थापित करायी जाएगी। उन्होंने बताया कि अब 18 अगस्त को भामौरी गांव में 5 बलिदानियों की याद में कार्यक्रम किया जाएगा।

इस कार्यक्रम के दौरान राजपूत चेतना मंच मेरठ ने बाबा नरपत सिंह परिवार के वंशज 85 वर्षीय ठाकुर धर्मपाल सिंह को शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मुख्य वक्ता डॉ. अमित पाठक को भी राजपूत चेतना मंच की ओर से शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अजय सोम ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ठाकुर धर्मपाल सिंह ने की।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से ललित चौहान, ओपी तोमर, प्रेमपाल सिंह, राकेश सोम, ईशम सिंह, कुशावली से मास्टर रतन सिंह, अखेपुर से प्रधान सुनील, रार्धना से वीरेंद्र सिंह, बबलू प्रधान अकलपुरा, अमित पूर्व प्रधान, ओम, महेंद्र सिंह, सुभाष सिंह, लोकेश, आशीष, कुशल पाल, राजकुमार, अर्जुन सिंह, योगेंद्र सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।



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