पालतू पशुओं को गरमी के तनाव से कैसे बचाएं, वैज्ञानिकों ने बताए उपाय




मेरठ।
गरमी के मौसम में बढ़ते तापमान के कारण पालतू जानवरों, पक्षियों और आवारा कुत्तों में हीट स्ट्रोक की सम्भावना बढ़ रही है। यही नहीं गरमी से पीड़ित दुधारू पशुओं में भी दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है। इसीलिए पालतू पशुओं को भी गरमी से बचाना बेहद जरूरी है। पशु भी गरमी की वजह से तनाव में आ जाते हैं और बीमार पड़ जाते हैं।

यह बात कृषि विश्वविद्यालय के वैटनरी कॉलेज के पशु वैज्ञानिकों ने पशु पालकों से कही। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रोफेसर राजवीर सिंह ने बताया कि गरमी से बचाव के लिए पशुओं को धूप में बांधने से बचना चाहिए। समय समय पर उन्हें ताजा पानी पिलाते रहना चाहिए। यदि गरमी की वजह से पशु के व्यवहार में कोई बदलाव दिखायी दे रहा है तो तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह से उसका उपचार करना चाहिए।

कृषि विवि और पशुपालन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड द्वारा प्रायोजित परियोजना के माध्यम से मेरठ के ग्राम नगला कबूलपुर में निशुल्क पशु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कृषि विवि के कुलपति डा० के० के० सिंह तथा पशुपालन विभाग के अपर निदेशक डॉ अरुण जादौन के मार्गदर्शन में किया गया।

इस निशुल्क शिविर में 131 पशुओं की विभिन्न बीमारियों जैसे कि बाँझपन, वाह्य परीजीवी, बुखार इत्यादि की जाँच कर निशुल्क दवाओं का वितरण किया गया। परियोजना प्रभारी डॉ. अमित कुमार वर्मा ने पशुपालकों को सलाह दी कि अगर पशुओं में थकान, भूख न लगना, बुखार, मुंह के आसपास झाग, अत्यधिक लार, खुले मुंह से सांस लेने आदि के लक्षण दिखायी दें तो पशु चिकित्सकों से संपर्क करें।

उन्होंने बताया कि ये लक्षण दिखायी देने पर प्राथमिक उपचार के रूप में, पशु के शरीर को पानी से पोंछने के साथ साथ उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी भी दें। मिनरल मिक्सचर, सोडियम बाई कार्बोनेट, विटामिन ए तथा प्रोबायोटिक्स को पशुओं के आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए।

शिविर में पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डॉ अमित वर्मा, डॉ अरबिंद सिंह, डॉ प्रेम सागर मौर्या, डॉ अजीत कुमार सिंह, डॉ आशुतोष त्रिपाठी, डॉ विकास जायसवाल आदि विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं प्रदान की। आयोजन पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ संजीव चौधरी तथा आभार संजीव तोमर ने किया।



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