जेल की कालकोठरी से बने आईएएस, सेल्यूट ठोंकते पुलिस अफसर





दीपक चौहान
इंसान की जिंदगी में कब कौन सा मोड़ आ जाए, वक्त कब आपसे कुछ करा जाए। किसी को पता नही होता। लेकिन इंसान अगर सकारात्मक सोच के साथ जिंदगी में आगे बढ़े और मेहनत करता रहे तो सफलता जरूर कदम चूमती है। ऐसे ही इंसान की जिंदगी में आज आने वाली हर एक मुसीबत आने वाले सुनहरे कल के लिए सबक जरूर होती है। ऐसे ही जिंदगी से सबक लेकर आईएएस अफसर बनने की यह सच्ची दास्तां है। जिसने तिहाड़ जेल में सजा काटने के दौरान पढ़ाई की और आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा कर रहे है। (IAS)
ये कोई कहानी नही बल्कि एक आईएएस अफसर की आपबीती है। जिसने अपनी मेहनत से अपनी तकदीर को बदल दिया। भाग्य के भरोसे नही बैठा और कर्म किया। जेल के बंद कमरों में बैठकर पढ़ाई की और आईएएस बनने का सफर तय किया।
आईएएस अफसर बनने से पूर्व अशोक राय उर्फ अमित तिहाड़ जेल में कैदी बनकर सजा भुगत रहे थे। अमित पर एक 21 साल की युवती को आत्महत्या के लिए उकसाने और बलात्कार का संगीन आरोप लगा था। निचली अदालत ने अमित को दोषी करार दे दिया था। अमित जेल की सलाखों के पीछे आजीवन कारावास की सजा काटने जा चुका था। लेकिन उसने हिम्मत नही हारी। जेल की काल कोठरी में रहकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
जेल में रहकर बने आईएएस अफसर

आपको आज जो पढ़ने को मिलेगा तो एक—एक शब्द प्रेरणा देंगा। आपके जज्बे को कुछ सकारात्मक करने के लिए प्रेरित करेगा। जी हां यह बात साल 2003 की है। और घटना दिल्ली की है। एक 21 साल की लड़की जिसका काल्पनिक नाम पायल है। वह कॉम्पीटीशन की तैयारी कर रही थी। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। जिसकी वजह से लगातार उसकी पढ़ाई छूट रही थी। कुछ कोर्स भी पीछे रह गया था। केमेस्ट्री विषय में कमजोरी के चलते वह एक इंस्टिट्यूट में पढ़ने जाती थी। वहां पर अमित उर्फ अशोक राय नाम के एक टीचर कोचिंग दिया करते थे। कोचिंग में कुछ लोग उन्हें अशोक राय के नाम से भी बुलाते थे। पायल अशोक की कोचिंग में पढ़ाई करने लगी। पायल का कोर्स काफी पीछे हो गया था इसलिए उसने अशोक राय से कहा कि मेरा कोर्स पीछे है। आप मुझे अलग से भी कुछ टाइम दे दीजिए। अशोक राय मान गए और उन्होंने हामी भर दी।
पायल केमेस्ट्री पढ़ने अशोक राय के पास अलग से जाने लगी। धीरे-धीरे समय बीतते जाता है और पायल अपने टीचर अशोक राय से काफी नजदीक हो जाती है। कुछ समय बाद 14 अप्रैल 2003 को रात 11 बजे पायल की अचानक तबीयत खराब हो जाती है। पायल का भाई तुरंत वहां पहुंचता है तो पायल बताती है कि उसने सल्फास की गोली खाई है। भाई के पैरों से जमीन खिसक जाती है। वह उसे तत्काल अस्पताल लेकर चला जाता है। दो दिनों तक पायल जिंदगी और मौत से संघर्ष करने के बाद आखिरकार जिंदगी की जंग हार जाती है। पायल का भाई कुछ समझ नहीं पाता कि अचानक ऐसा क्या है? लेकिन पायल ने मरने से पहले भाई को अमित का नाम बताया और अपनी मौत का जिम्मेदार भी बताया।
सुसाइड नोट में अमित मौत का जिम्मेदार
चूंकि मामला आत्महत्या का था। दिल्ली पुलिस की टीम पायल के घर पहुंची। पुलिस को पायल के हाथों लिखी एक चिट्ठी मिलती है। चिटठी में बताया गया था कि वह अमित के पास केमेस्ट्री पढ़ने जाया करती थी। अमित से दोस्ती हो गई। पायल को लगने लगा कि अमित भी उससे प्यार करता है। दोनों शादी करेंगे। इसलिए दोनों में शारीरिक संबंध भी बन गया। दोनों के बीच रिलेशन भी था। पढ़ाई भी ठीक चल रही थी। लेकिन बाद में पायल को अहसास हुआ कि अमित पायल से शादी नहीं करेगा। पायल ने बताया कि एक दिन अमित ने उससे कहा कि एक मेरा दोस्त है और उससे तुमको फिजिकल रिलेशन बनाना है। यह सुनकर पायल हैरान रह गई और उसका दिल टूट गया। पायल को अपने परिवार की बेइज्जती और अशोक का शादी से पीछे हटने का दुख इतना सताने लगे कि उसने आत्महत्या करना ही बेहतर लगा और उसने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार अमित उर्फ अशोक राय ही जिम्मेदार है।
पुलिस केस दर्ज और अब आगे
पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर दष्कर्म और आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस की विवेचना शुरू हुई और अमित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी। लोअर कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अमित को दोषी ठहराया और अमित को तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया। कोर्ट ने अमित को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए 10 साल की सजा सुनाई और रेप के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई। अमित ने लोअर कोर्ट के निर्णय को हाई कोर्ट में चैलेंज किया। हांलाकि कोर्ट में अमित ने कहा ​कि उसने पायल का रेप नहीं किया था। यह सबकुछ दोनों की सहमति से हुआ था। अमित ने यह भी कहा था कि दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात भी पायल की झूठी है। लेकिन कोर्ट ने फिर भी अमित को दोषी करार दिया था।
इधर अमित ने हाईकोर्ट में मामले की अपील की। वही दूसरी ओर अमित ने आईएएस अफसर बनने की ठान ली। जेल में बंद अमित ने यह बात जेलर और जेल सुप्रीमटेंडेट को बताई तो सभी ने सहयोग करने का भरोसा दिया। अमित ने अपनी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से किताब, नोटस का प्रबंध किया गया। अमित मुसीबत के दौर से आगे बढ़कर अब अपनी जिंदगी में संघर्ष करने लगा था।
अमित ने जेल के लाइब्रेरी को बनाया ठिकाना
अमित ने जेल की काल कोठरी के अलावा दूसरा ठिकाना लाईब्रेरी को बनाया। जेल के पुलिसकर्मियों ने अमित को बाकी कैदियों से अलग पाया तो उन्होंने सहयोग करना शुरू कर दिया। अमित ने जेल में ही दिन-रात पढ़ाई की। उसकी पढ़ाई में जेल के अफसरों ने सहयोग किया।
करीब पांच साल 2008 में अमित ने यूपीएससी का एग्जाम दिया। पहली बार में ही अमित ने प्री क्लीयर कर दिया। जेल के अंदर खुशी का माहौल बन गया। लेकिन असली परीक्षा मेंस क्लीयर करने थी। अमित ने मन लगाकर इस पढ़ाई की और अब उसने मेंस क्लीयर कर दिया। अमित की मेहनत रंग लाई आखिरकार लास्ट में उसने इंटरव्यू भी क्रैक कर लिया। साल 2009 में जब यूपीएससी का रिजल्ट आता है तो उम्रकैद की सजा काट रहे अमित की खुशी का ठिकाना नही रहा। वह आईएएस अफसर बन चुका था। यूपीएससी में रैंक भी बहुत अच्छी आई थी। रैंकिंग अच्छी होने के चलते आईएएस में ज्वाइन करने का मौका मिला था। तिहाड़ जेल में जब यह खबर पहुंची तो समूचा जेल प्रशासन खुशी से झूम उठा। अमित कैदियों के बीच एक आदर्श बन चुके थे। सभी जेल प्रशासन और कैदी बहुत खुश थे। पहली बार कोई कैदी जेल में रहते हुए भारत के सबसे कठिन परीक्षा को पास करके आईएएस बना हो। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर की नहीं थी। अभी तो
हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई बाकी थी।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अमित आईएएस
अमित अभी भी जेल में बंद था और वह रेप के मामले में सजा भुगत रहा था। फिर तिहाड़ जेल प्रशासन और दिल्ली सरकार ने अमित की मदद करने की सोची। हाईकोर्ट में अमित का मामला था कोर्ट में बताया गया कि अमित ने साढ़े 5 साल सजा काटा है और जेल में रहते हुए इसका आचरण बहुत ही अच्छा रहा है। जेल में रहकर इसने दूसरे कैदियों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। यह सब देखते हुए हाईकोर्ट ने दलील को देखकर अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय , जिसमें पायल ने खुदकुशी की थी और अमित को उसका जिम्मेदार माना था। इस फैसले को पलटते हुए कहा कि अमित का सीधा संबंध पायल के सुसाइड केस से नहीं था और ना ही कोई सबूत ऐसे पाए गए हैं। खुदकुशी की जानकारी अमित को नहीं थी। दोनों के संबंध पहले से थे और अमित ने कभी भी उससे जबरदस्ती नहीं की। दोनों के शारीरिक संबंध सहमति से बने। इसलिए पायल के खुदकुशी का मामला अमित से सीधा नहीं जुड़ा हुआ है। यह सब देखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अमित साढ़े 5 साल सी सजा काट चुका है और वह अब आगे सजा का हकदार नहीं है इसलिए उसे रिहा किया जाता है। इसके बाद अमित जेल से रिहा होता है और आईएएस की ट्रेनिंग लेता है।



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