आईएएस अफसर कोरोना को मात देकर पहुंचे फर्ज निभाने, कैसे जूझे कोरोना से, ये दिए टिप्स, देखें वीडियो





नवीन चौहान
कोरोना किसी को भी हो सकता है। लेकिन जो जनता को बचाने के लिए मैदान में उतरकर सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें कोरोना संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। यही फर्ज निभाते हुए हरिद्वार के मुख्य विकास अधिकारी आईएएस विनीत तोमर भी कोरोना से संक्रमित हो गए थे।
17 नवंबर को सीडीओ विनीत तोमर की रिपोर्ट में कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। वे सावधानी बरतते हुए घर पर आईसोलेट हो गए और कोरोना की गाइड लाइनों का पालन करते हुए अपना इलाज शुरू कराया। उन्होने नियमों का पालन करते हुए कोरोना को मात दी। अब वे पूरी तरह से स्वस्थ्य है और अपने ड्यूटी के फर्ज निभा रहे हैं। सीसीआर में उन्होंने न्यूज127 के संपादक नवीन चैहान से विशेष बातचीत करते हुए कोरोना होने पर क्या किया और जनता को कोरोना से बचाव का संदेश दिया। उनसे बातचीत के अंश —
आईएएस विनीत तोमर ने बताया कि कोरोना खतरनाक बीमारी है और कई लापरवाही करने से किसी को भी हो सकती है। प्रत्येक व्यक्ति पर स्वयं के साथ परिवार की भी जिम्मेदारी है।
उन्होंने बताया कि मेरे घर में भी छोटे बच्चे और पत्नी व माता है। हम यह सोचते हैं कि हमें कोरोना नहीं होगा, लेकिन आपकी वजह से आपके परिवार के जीवन को खतरा हो सकता है। इसके लिए सावधानी बरतनी चाहिए। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना चाहिए, मास्क पहनना चाहिए, सैनिटाइज करते रहने चाहिए। मेडिकल की गाइड लाइन का पालन करते रहना चाहिए। यदि कोई दिक्कत है तो सरकारी विभागों से संपर्क करना चाहिए।
यदि कोरोना हो जाए तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेडिकल किट में मास्क, आयुर्वेद किट, थर्मामीटर, आॅक्सोमीटर, एंटीबायोटिक दी गई है। उन्हें गाइडलाइन के अनुसार समय पर लेते रहना चाहिए। यदि लगता है कि स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तो मेडिकल परामर्श के लिए डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए। अपनी माॅनिटरिंग करते रहना चाहिए।
होम आईसोलेशन रहते समय 17 दिन अकेले बंद कमरे में रहना पड़ता हैं। इससे साईक्लोजिकल इफेक्ट होने लगते है। ऐसा लगता है कि हम जेल में बंद हो गए है। इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को अपना दिमाग अपसेट नहीं चाहिए, बल्कि पाॅजिटिव माइंड सेट करना चाहिए।
यह सोचना चाहिए कि जब देश में एक करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित आ चुके है। आपको यह सोचना चाहिए कि इससे जूझकर बाहर आना है।
कोरोना होने पर अपने को 17 दिन तक एक कमरे में रखकर समय गुजारना बड़ी चुनौती है। यह सभी आप तभी जीत सकते हैं जब तक पाॅजिटिव विचारों के साथ रहते है।
जब वे होम आईसोलेट में थे तो कुछ किताबे पढ़ी, जिनमें पाॅजिटिव और साइक्लोजिकल किताबे पढ़ी, जिनका बड़ा फायदा मिला। लोग पीड़ित होने पर टीवी देख सकते है, गाने सुन सकते हैं या संस्थान में जो सुविधा मिलती है, उन सभी से लाभ मिलता है।



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