हरियाणा के गांव से उत्तराखंड के डीजीपी बनने तक का सफर, जानिए एक नजर




नवीन चौहान
उत्तराखंड पुलिस की कमान अब नए पुलिस महानिदेशक आईपीएस अशोक कुमार के हाथों में आ गई है। उनकी कर्तव्यनिष्ठा, दूरदर्शिता, सादगीपूर्ण व्यवहार, मिलनसार व्यक्तित्व, कुशल नेतृत्व से उत्तराखंड पुलिस में नई उर्जा का संचार होगा। पुलिस बल में अभिनव प्रयोग होंगे। पीड़ितों को न्याय मिलेगा, साथ ही अपराध नियंत्रण होगा। उनके डीजीपी बनने से प्रदेश की जनता के साथ विभागीय अधिकारी कर्मचारियों में खुशी है। हरियाणा के एक गांव में पैदा हुए आईपीएस में खूबियों की भरमार है। वे अच्छे लेखक भी है। उनकी खाकी में इंसान पुस्तक बहुत ही लोकप्रिय रही। हरियाणा के गांव से उत्तराखंड डीजीपी बनने तक का सफर का बहुत ही चुनौती पूर्ण रहा। उन्होंने अपने अथक प्रयास और मेहनत के बल पर इस मुकाम तक पहुंचने में सफलता पाई है। उनको हरिद्वार जनपद में दो बार एसएसपी बनने का सौभाग्य मिला। यही कारण है कि उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय डीजीपी के रूप में अशोक कुमार की पहचान है।
जानिए नए डीजीपी के बारे में ———
अशोक कुमार राज्य के 11वें डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) होंगे। अशोक कुमार वर्ष 1989 के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं। अपने लगभग तीन दशक के सेवाकाल में अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड पुलिस, आईटीबीपी और बीएसएफ के महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। ‌बीते वर्षों में उन्होंने कई विषयों पर पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें उनकी खाकी में इंसान बेहद प्रसिद्ध रही है। चैलेंजेस टू इंटरनल सिक्यूरिटी भी पसंद की गई। वे हरिद्वार में सन 1995 में अर्द्धकुंभ करवा चुके है और फिर 2010 महाकुंभ में इन्होंने अपनी पूरी सेवा दी। इनका अनुभव कुंभ—2021 में काम आएगा।
एक छोटे से गांव में हुआ था जन्म
अशोक कुमार का जन्म और पालन-पोषण हरियाणा के जिला पानीपत के एक छोटे से गांव कुराना में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की और आईआईटी दिल्ली से बीटेक (1986) और एकटेक (1988) किया।
यहां से शुरू किया करियर
अशोक कुमार वर्ष 1989 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए। उनकी सबसे पहली पोस्टिंग इलाहाबाद में हुई थी। इसके बाद अलीगढ़, चमोली, मथुरा, शाहजहांपुर, मैनपुरी, रामपुर, नैनीताल और हरिद्वार जैसे स्थानों में यूपी और उत्तराखंड राज्य में अपनी सेवाएं देते हुए कई चुनौतीपूर्ण कार्य किए। उत्तराखण्ड बनने से पूर्व वे चार जनपदों में सेवा दे चुके हैं, जो अब 5 जनपदों में तबदील हो चुके हैं। उन्होंने कुमाऊं के तराई क्षेत्र से आतंकवाद के खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 22 जनवरी 1994 को ऊधमसिंहनगर में हीरा सिंह गैंग के साथ हुए एक बड़े एनकाउंटर को उन्होंने खुद लीड किया था। इस एनकाउंटर में 3000 राउण्ड फायरिंग हुई थी।
हरिद्वार में कराया था अर्द्धकुंभ
वर्ष 1994 में पुलिस अधीक्षक चमोली के पद नियुक्त रहे। इस दौरान जनता के साथ परस्पर संवाद एवं सहयोग से वहां उत्तराखण्ड आंदोलन काफी शांतिपूर्ण रहा। वर्ष 1995-96 में वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार तथा वर्ष 1999 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नैनीताल के पद पर सेवारत रहे। हरिद्वार में सन 1995 में अर्द्धकुंभ कराया था और उस हरिद्वार में बदमाशों को गठजोड़ चल रहा था जो उन्होंने तोड़ा। कई बदमाश एनकाउंटर में मारे गए।
आपदा में किया योगदान
वर्ष 2013 में केदारनाथ में आयी आपदा के समय वे बीएसएफ में आईजी प्रशासन के पद पर नियुक्त थे, इस दौरान उन्होंने कालीमठ घाटी में राहत एवं पुनर्वास कार्य कराए थे। 14 गांव गोद लिए थे और कालीमठ मन्दिर को भी बहने से बचाया था।
इन सम्मानों से हुए सम्मानित
वर्ष 2001 में दक्षिण पूर्व यूरोप के कोसोवो में उत्कृष्ट कार्य के लिए यूएन मिशन पदक मिला था। वर्ष 2006 में दीर्घ एवं उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।



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