नवीन चौहान
हरिद्वार नगर निगम में कांग्रेस की मेयर अनीता शर्मा का कार्यकाल एक महीने बाद दो साल का हो जाएगा, लेकिन उनके कार्यकाल में शहर में विकास कार्यों के बजाय राजनीति ज्यादा हुई है। इस अवधि में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के खेमे के नेताओं ने मेयर की नाकामियों को गिनाने का काम करते हुए अन्य आरोपों में घेरने का काम जारी रखा, तो मेयर अनीता शर्मा की ओर से भी नाकामियों के लिए भाजपा की राज्य सरकार को ही चपेटे में लपेटकर रखा। अब जो राजनीति शहर में हो रही है वह विधायक के चुनाव को लेकर है। हालांकि अभी मेयर के तीन साल और भाजपा की राज्य सरकार का करीब डेढ़ साल का समय शेष बचा है, देखना है कि राजनीति किस रास्ते से मोड़ लेगी।
हरिद्वार में पिछले दो साल पहले नगर निकाय का चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस की प्रत्याशी अनीता शर्मा ने भाजपा प्रत्याशी अन्नू कक्कड़ को हराकर मेयर बनीं। अनीता शर्मा को मेयर निर्वाचित हुए करीब दो साल का समय हो गया है। उन्होंने शपथ लेते ही शहर के विकास के लिए काम करना शुरू किया। उनका पहला फोकस शहर की साफ सफाई पर रहा। उन्होंने शहर के कौने—कौने में जाकर सफाई कार्यों का निरीक्षण करते हुए सफाई भी कराई। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने सहयोग करना बंद कर दिया। जहां पर मेयर अनीता शर्मा अधिकारियों के अमले को बुलाएं, लेकिन वह पहुंचे नहीं। हालात ऐसे हो गए कि उनके पति अशोक शर्मा स्वयं नालियों में उतरकर साफ सफाई करने लगे। यहां से शहर में मेयर पति बनाम मदन कौशिक खेमा के बीच राजनीति शुरू हो गई। भाजपा के नेताओं को उनकी प्रसिद्धि रास नहीं आए और मेयर पर नाकामी का ठीकरा फेंकते हुए उन्होंने अशोक शर्मा को घेरते हुए राजनीति में आगे बढ़ने की चाह का आरोप लगाते हुए छोटी प्रसिद्धि करार दिया। लॉकडाउन में तो राशन वितरण में तो सभी ने बढ़ चढ़कर काम किया। इसका फायदा शहर की गरीब जनता को खूब मिला। आपको बताते है कि इन दो सालों में क्या हुआ। पढ़िए नवीन चौहान की रिपोर्ट ———
इंजीनियर दिलाने के लिए खूब किए प्रयास
उधर, नगर निगम में इंजीनियर न होने के चलते हुए निगम के बजट को अन्य निर्माण संस्था आरईएस को दे दिया। इस पर मेयर ने खूब हल्ला किया और नगर निगम में इंजीनियर तैनात कराने को लेकर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से मुलाकात की। यही नहीं तीन बार ज्ञापन भी सौंपकर इंजीनियर नियुक्त करने की मांग की। शहरी विकास मंत्री के बाद मेयर राज्यपाल के दरबार में पहुंचीं और ज्ञापन सौंपकर शहर के विकास के लिए इंजीनियर मांगा। मेयर अनीता शर्मा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मिलीं, लेकिन दो साल में नगर निगम को शासन ने इंजीनियर नहीं दिया। हालात ऐसे हो गए कि नगर निगम शहर की सड़कों के गड्ढे तक नहीं भरवा सका। भाजपा के नेता इसे मेयर की नाकामी साबित करने में लगे रहे।
कमीशन लेने के आरोपों घेरने में झोंकी ताकत
मदन कौशिक खेमे ने मेयर के पति अशोक शर्मा को केआरएल से कमीशन लेने में खूब घेरा। इसके बाद शहर में जिओ की भूमिगत लाइन बिछाने के कार्य में भी लेनदेन के आरोप लगाते हुए घेरा। लाइटें खरीद में भी घेरने का प्रयास किया, लेकिन साबित कुछ नहीं सके। यदि यूं कहे कि दो साल आरोप और प्रत्यारोपों में ही नगर निगम चलता रहा तो सही बात होगी। लेकिन शहर की बदहाली न तो मेयर दूर कर पाई और न ही शहर के विधायक मदन कौशिक। दोनों ही एक दूसरे को राजनीति के अखाड़े में चित्त करने के लिए तरह—तरह के दाव खेलते रहे। इसी राजनीति का फायदा अधिकारियों ने खूब उठाया। जहां गड्ढा खोद दिया, वहां पर खुदा ही पड़ा रहा। भाजपा नेता मेयर का क्षेत्र होने की बात कहते रहे और मेयर किसी प्रकार के संसाधन न होने की।
मेयर ने फेंका सामान का पर्चा बम
भाजपा नेताओं को मेयर को घेरना भी भारी जब पड़ गया, जब मेयर अनीता शर्मा ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के खन्नानगर स्थित कार्यालय को जाने वाले सामान के पर्चा का खुलासा कर दिया। इस पर कांग्रेस नेताओं के साथ आमजन से खूब चुटकी ली, लेकिन भाजपा इसकी काट नहीं ढूंढ नहीं सका।
पुलिया का बम पड़ा मेयर पति पर भारी
हरेराम आश्रम कनखल की भूमि पर आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए छोटी गंगानहर पर एक पुलिया बनाई गई। दूसरी ओर किसी प्रकार की आबादी न होने पर मेयर पति अशोक शर्मा ने खूब उछाला, उन्होंने जगह—जगह पुलिया बनाने की मांग उठा डाली। लेकिन जब आश्रम के महामंडलेश्वर ने अशोक शर्मा का इकरारनामा सामने रख दिया तो फिर वे मामले में शांति छा गई।
दिपावली पर शहर को रोशन करने के लिए नहीं इंतजाम
अब 8 दिन बाद दिपावली की रोशनी से शहर जगमग होगा, लेकिन नगर निगम की ओर से अंधेरे में पड़े शहर में प्रकाश करने के लिए लाइटों तक इंतजाम नहीं किया। वार्ड क्षेत्र के पार्षद हो या अन्य समाजसेवी, सभी नगर निगम से लाइट लगवाने के लिए चक्कर काटते हुए मिलते हैं, लेकिन स्टोर कीपर लाइट खरीदने की बात कह देता है।