पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों को आगे ले जाना हम सबका दायित्व -डा. महेन्द्र नाथ पाण्डे




संजीव शर्मा, मेरठ। अगर हम देश के ना काम आए, तो धरा क्या कहेंगी, गगन क्या कहेगा। कुछ इन्हीं पंक्तियों को सार्थक करते हुए चौ0 चरण सिंह विष्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में पं0 दीन दयाल उपाध्याय जन्मोत्सव समारोह मनाया गया। मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डे ने कहा कि हम सबको पं0 दीन दयाल उपाध्याय जी के विचारों को आगे ले जाना है, यह हम सबका दायित्व है।
उन्होंने कहा कि पं0 दीन दयाल जी ने एकात्म मानववाद व अन्तोदय की परिकल्पना इस संसार को दी व अनुशासन पर बल दिया। पं0 दीन दयाल जी कहा करते थे कि विचार में विकार नहीं होता है बल्कि व्यक्ति में विकार होता है। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को पुरस्कार व छात्रवृत्तियां वितरित की। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री भारत सरकार डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डे ने भारत माता व पं0 दीन दयाल जी के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्जवलन कर किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पं0 दीन दयाल जी कहा करते थे कि अर्थ का अभाव भी कठिनाईयां लाता है तथा अर्थ का अधिक होना भी कठिनाईयां लाता है। इसलिए उतनी ही आय हो जिससे अपना गुजारा चल जाये। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में भी उनके विचारों की भूमिका रही तथा आजादी के बाद नया भारत कैसा होगा इस पर भी उनके विचारों का प्रभाव रहा। उन्होंने कहा कि पं0 दीन दयाल जी कहा करते थे कि विचार में विकार नहीं होता है बल्कि व्यक्ति में विकार होता है। उन्होंने कहा कि पं0 दीन दयाल जी के विचारों को आगे बढाना हमारा दायित्व है। सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संगठन बनाया, ऐसे राजनैतिक संगठन को पं0 दीन दयाल जी ने अपनी मेहनत व लगन से आगे बढाया। राज्यसभा सांसद विजय पाल सिंह तोमर व राज्यसभा सांसद कान्ता कर्दम ने भी पं0 दीन दयाल जी के एकात्म मानववाद व अन्तोदय के विचारों पर जोर देते हुए पं0 दीन दयाल जी को एक महान चिंतक व युग पुरूष बताया। इस अवसर पर पं0 दीन दयाल उपाध्याय सेवा संस्थान द्वारा पूर्व में आयोजित की गयी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित कराए गए, जिसमें जूनियर वर्ग में 6 व सीनियर वर्ग में 6 बच्चों को पुरस्कार वितरित कराए गए । वहीं 47 बच्चों को 1000 रू0 व 11 बच्चों को 500 रू0 की नकद छात्रवृत्ति भी मा0 डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डे जी द्वारा दिलवाई गई।



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