मनुष्य को सुगढ़ बनाती है संस्कृति: डॉ. पण्ड्या




हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि संस्कृति मनुष्य को सुगढ़ बनाने का कार्यकरती है। संस्कृति जीवन जीने की कला का नाम है। जीवन का मर्म है। मानव जीवन का उत्थान भी संस्कृति परआधारित है।  वे गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े उप्र के शिक्षकों के शिक्षकगरिमा शिविर को संबोधित कर रहे थे। इस शिविर में उप्र के विभिन्न जिलों के तीन सौ से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाएँ शामिल हैं। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने सभ्यता व संस्कृति को स्पष्ट करते हुए कहा कि सभ्यता केवल भौतिकवस्तुओं का ज्ञान कराती है, तो वहीं संस्कृति मानव को महामानव बनने की ओर प्रेरित करती है। उन्होंने कहा किसुसंस्कार महान बनने की ओर प्रेरित करता है, संस्कृति-कार्य पद्धति को सुधारती है और संस्कृत- देवताओं कीवाणी रूप में जीवनोद्धार के सूृत्र समझाती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भागदौड़ के बीच जब अध्यात्मजीवन में उतरता है, तब ओजस, तेजस और वर्चस जीवन में दृष्टिगोचर होने लगता है। महादेवी वर्मा, सूर्यकांतत्रिपाठी निराला, स्वामी विवेकानंद, युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री आदि के संस्मरणों के माध्यम से मानवजीवन की गरिमा को रेखांकित किया। डॉ. पण्ड्या ने शिक्षा और विद्या पर भी सारगर्भित बातों को उल्लेखित किया।

            निर्मल गंगा जन अभियान का नेतृत्व कर रहे डॉ. पण्ड्या ने कहा कि गंगोत्री से गंगासागर के बीच पतितपावनी गंगा के दोनों तटों को हरी चुनरी ओढ़ाने का कार्य प्रगति पर है, इसमें उप्र के युवा बढ़-चढ़कर भागीदारी कररहे हैं। गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा जी के शताब्दी वर्ष 2026 तक गंगा के दोनों तटों कोहरा-भरा रखने के लक्ष्य से अवगत कराया। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. पण्ड्या ने विद्यालयीन स्तर पर विद्यार्थियोंका जन्मदिन मनाना, वाद-विवाद प्रतियोगिता, योगाभ्यास, वृक्षारोपण जैसे कार्यों से उनमें सुसंस्कारिता के बीजबोने सहित विविध उपायों की जानकारी दी।

            श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि सन् 1994 में 2000 विद्यार्थियों से प्रांरभ हुआ यह अभियान 22 राज्यों के70 लाख विद्यार्थियों तक पहुँच चुका है और इसे हमें देश के प्रत्येक विद्यार्थियों तक भारतीय संस्कृति को पहुँचानाहै। इस अवसर पर श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने उप्र के उप शिक्षा निदेशक श्री शिवसेवक सिंह को उनके उत्कृष्ट सहयोग केलिए प्रशस्ति पत्र, गायत्री मंत्र चादर एवं युगसाहित्य भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान श्री प्रदीप दीक्षित, डॉ.पीडी गुप्ता, राजेश मिश्रा, मोहन सिंह सहित अनेक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।

 



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