नवीन चौहान
उत्तराखंड में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में स्वामी यतीश्वरानंद अहम भूमिका निभायेंगे। नेतृत्व परिवर्तन के बाद पुष्कर सिंह धामी की सरकार में उनके घनिष्ठ मित्र स्वामी यतीश्वरानंद सुपर पावर के रूप में उभरे है। हरिद्वार ग्रामीण सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव हराने के बाद करीब चार साल प्रतीक्षारत रहने के बाद स्वामी यतीश्वरानंद को पुष्कर सिंह धामी की सरकार में उचित सम्मान मिला है। स्वामी यतीश्वरानंद भी फुल फार्म में है। पुष्कर सिंह धामी ने भी अपनी विधानसभा का प्रभारी मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को बनाया है। स्वामी यतीश्वरानंद के सिर माथे ही भाजपा को उत्तराखंड में सत्ता वापिसी कराने का महत्वपूर्ण दायित्व है। पुष्कर सिंह धामी के सारथी बनकर स्वामी यतीश्वरानंद भाजपा के चुनावी रथ को लेकर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित तौर पर भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता पाने में कामयाब होगी।
हरिद्वार ग्रामीण विधायक स्वामी यतीश्वरानंद की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में काफी अनदेखी हुई। दो बार के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव में करारी शिकस्त दी थी। जिसके बाद से उनके मंत्री बनने की सबसे अधिक संभावनाए थी। लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में स्वामी यतीश्वरानंद की अनदेखी की गई। केबिनेट मंत्री पद के प्रबल दावेदार स्वामी यतीश्वरानंद बतौर विधायक के तौर पर जनता की सेवा में जुटे रहे। आर्थिक रूप से कमजोर व पीड़ितों की समस्याओं का निस्तारण करते रहे।
स्वामी यतीश्वरानंद ने प्रशासनिक अधिकारियों को कड़क अंदाज में काबू करते हुए क्षेत्र के विकास कार्यो में लगाया। जिसके चलते हरिद्वार ग्रामीण सीट पर जमकर विकास कार्य हुए। ग्रामीणों की समस्याओं का सर्वाधित निस्तारण हुआ तो ग्रामीण विधानसभा में हुआ। ग्रामीण विधानसभा की सड़क, बिजली, पानी की समस्याएं दुरूस्त हुई। क्षेत्र में चहुंमुखी विकास कार्य हुए। स्वामी यतीश्वरानंद हर वक्त जन समस्याओं का निस्तारण करते दिखे। उनके समर्थक स्वामी यतीश्वरानंद के मंत्री बनने की आवाज बुलंद करते दिखे।
कमोवेश उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा फेरबदल हुआ। बड़े ही नाटकीय अंदाज में त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से विदाई हुई तो प्रदेश की कमान पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को मिली।
तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनते ही स्वामी यतीश्वरानंद का भाग्य उदय हुआ। उनको राज्यमंत्री बनाया गया। राज्यमंत्री बनने के बाद स्वामी यतीश्वरानंद को बधाई मिलने का सिलसिला शुरू ही हुआ था कि एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन हुआ।
इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके घनिष्ठ मित्र पुष्कर सिंह धामी को मिली। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार में एक बार फिर स्वामी यतीश्वरानंद का कद बढ़ा और वह केबिनेट मंत्री बनाए गए।
केबिनेट मंत्री के तौर पर स्वामी यतीश्वरानंद एक जननायक के रूप में उभरे। उत्तराखंड की जनता ने स्वामी यतीश्वरानंद को सिर माथे पर बैठाया।
गरीबों के हरवक्त उपलब्ध रहने वाले केबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सारथी बनकर सरकार में आगे आए। उनकी पसंद और नापसंद ही सरकार का निर्णय बनने लगी। स्वामी यतीश्वरानंद ने केबिनेट मंत्री बनते ही अपने इरादे जाहिर किए। नौकरशाहों और अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए बताया कि जनता के कार्य को प्राथमिकता से किया जाए। जनता को समस्या उत्पन्न हुई तो अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
स्वामी यतीश्वरानंद का यह अंदाज जनता को खूब पसंद आया। फिलहाल स्वामी यतीश्वरानंद की बात करें तो वह अधिकतम वक्त जनता की सेवा में जुटे है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का कार्य कर रहे है। जनता के बीच 24 घंटे उपलब्ध है।
स्वामी यतीश्वरानंद का सादगी भरा व्यक्तित्व ही पुष्कर सिंह धामी की सरकार में वापिसी करायेंगा। जिसके बाद एक बार फिर से स्वामी यतीश्वरानंद का कद सियायत में ऊंचाईयों पर पहुंचेंगा।