नवीन चौहान। इस समय पूरा देश अयोध्या में 22 जनवरी को होनी वाली प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुटा है। कोई इस ऐतिहासिक पल का साक्षात गवाह बनने के लिए अयोध्या जाने की तैयारी कर रहा है तो कोई अपने घर पर रहकर ही इस उत्सव को उमंग पूर्वक मनाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में लंकापति रावण की ससुराल में भी इस उत्सव की तैयारी बड़ी ही धूमधाम के साथ की जा रही है।
मेरठ को लंकापति की ससुराल कहा गया है। मान्यताओं के अनुसार रावण की पत्नी मंदोदरी मेरठ की ही रहने वाली थी। मेरठ का नाम पहले मयराष्ट्र था, जिसका राजा मय था। बाद में मयराष्ट्र का नाम मेरठ हो गया। मेरठ में आज भी बिलेश्वर महादेव का मंदिर है, इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि लंकापति रावण से विवाह होने से पूर्व मंदोदरी इसी मंदिर में आकर भगवान शिव की आराधना करती थी। मंदोदरी की भक्ति से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था। जिसके बाद रावण जैसा ज्ञानी उसे वर के रूप में मिला। कहा तो यह भी जाता है कि इसी मंदिर में जब मंदोदरी पूजा करने आती थी तब रावण से उनकी यहीं पर पहली बार मुलाकात हुई थी।
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई शिव की पूजा अर्चना फल जरूर मिलता है। यहां सावन के महीने में कांवडियां शिवलिंग का जलाभिषेक कर अपने मन्नतें पूरी होने की कामना करते हैं। इस मंदिर के और भी कई पौराणिक महत्व है जिनकी वजह से इस मंदिर का विशेष स्थान है।
अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे ही रावण की ससुराल मेरठ में भी 22 जनवरी को लेकर उत्सव की तैयारी की जा रही है। इस दिन मेरठ में कई स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की तैयारी की जा रही है। शहर की कई कालोनियों में भजन कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। शाम को दीपोत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के अलावा आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी जगह जगह कार्यक्रम करने की योजना बनायी है।