मेरठ। आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा से किडनी, लीवर, कैंसर और दिल के रोगों का सफल इलाज संभव है। यह बात आचार्य मनीष और डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी ने हिम्स मेरठ में आयोजित प्रेसवार्ता में कही। इस अवसर पर डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी ने अपनी किताब लैट यौर सेकेंड हार्ट हैल्प का विमोचन भी किया।
इस दौरान डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी ने किताब के अंदर मौजूद प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में दो हार्ट काम करते हैं। एक हार्ट वो जिसे हम सब जानते हैं लेकिन एक दूसरा हार्ट भी है जिसे हम नहीं जानते। इसी को सेकेंड हार्ट का नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि यदि हम बैठे बैठे अपने पैरों को हिलाते हैं तो यह दूसरे हार्ट का काम करता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने दर्जी का उदाहरण देते हुए बताया कि पैर से चलने वाली मशीन से सिलाई का काम करने वाले दर्जी पर सर्वे किया गया तो पता चला कि इस कार्य को रहे लोगों में शुगर, हार्ट, बीपी आदि की बीमारी नहीं है।
हिम्स के सह संथापक डॉ बिस्वरूप चौधरी ने बताया कि उनकी किताब लैट यौर सेकेंड हार्ट हैल्प किताब को पढ़कर एक आम व्यक्ति की दूसरों की मदद कर सकता है। उन्होंने बताया कि दो माह का प्रशिक्षण प्राप्त करने बाद हैल्प प्रैक्टिशनर बनकर पेशेवर रूप से भी कार्य किया जा सकता है। उन्हांेने बताया कि सिलाई मशीन चलाते समय दर्जी फुट पैडल चलाता है जिससे उसके पैरों की मांसपेषियां सक्रिय होती हैं। इन्हीं मांसपेशियों को दूसरा हार्ट कहा जाता है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा में अधिकांश गंभीर बीमारियों का इलाज सफलता पूर्वक संभव है।
हिम्स आयुर्वेद के संस्थापक आचार्य मनीष ने प्रेसवार्ता में कहा कि जीवन शैली में बदलाव और पुरानी उपचार तकनीकों के माध्यम से जानलेवा बीमारियों का इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा की प्रभावशीलता बताने वाले परिणामों के ढेर सारे उदाहरण मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर गंभीर बीमारियों को खत्म करने का कार्य करता है। प्रेसवार्ता में उन्होंने हिम्स में इलाज कराने वाले कई रोगियों के बारे में बताया जिनकी बीमारी का इलाज करने में डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, लेकिन आयर्वुेद और प्राकृतिक चिकित्सा से शुरू हुए इलाज के बाद वह ठीक हुए।