बड़ी उपलब्धि की ओर सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि ​विवि, शुरू हुआ बांझपन मिटाने को पायलट प्रोजेक्ट




मेरठ। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस के वित्तीय सहयोग से कान्हा उपवन गौशालाओं में बांधपन मिटाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत की है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो इस प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में शुरू करने के लिए सरकार के सामने विस्तृत ब्यौरा रखा जाएगा।

पशुपालन हमारे लघु और सीमान्त किसानों की आजीविका का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्रोत है यदि पशु स्वस्थ होगा तभी पशुपालक उससे अधिक उत्पादन ले सकता है। परन्तु प्रदेश में वर्तमान समय में पशुओं विशेषकर गायों में समय से गर्भधारण न करना एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है, जिसकी वजह से सड़कों पर निराश्रित गोवंशीय पशुओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस कारण न सिर्फ सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है बल्कि फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है।

इन्हीं समस्याओं के समाधान हेतु सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के वित्तीय सहयोग से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में विशेष पशुचिकित्सा शिविर लगाये जाते हैं, जिनके माध्यम से अभी तक 65 पशु स्वास्थ्य शिविरों में कुल 13000 से अधिक पशुओं का उपचार किया जा चुका है। बढ़ती हुई निराश्रित गौवंश की संख्या का एक प्रमुख कारण बाँझपन भी है। सरकार द्वारा इन निराश्रित गौवंश को पकड़कर गौशाला में रखा जा रहा है, जिससे गौशालाओं में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है और उपलब्ध संसाधनों पर अत्यधिक दबाब पड़ रहा है।

इसके समाधान हेतु पशु चिकित्सा महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कृषि विवि के कुलपति डॉ के.के. सिंह तथा पशुपालन विभाग मेरठ के अपर निदेशक डॉ. अरुण जादौन के मार्गदर्शन में अधिष्ठाता डॉ. राजीव सिंह के नेतृत्व में एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है, जिसमें लगभग 30 से 40 गायों को इसट्रस सिंक्रोनाइजेशन विधि द्वारा गायों को गर्भधारण कराने के प्रयास किये जायेंगे। यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है तो एक बड़ी उपलब्धि होगी और इस मॉडल को प्रदेश स्तर पर प्रयोग में लाने की संस्तुति प्रदेश सरकार से की जायेगी।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट हेतु परतापुर स्थित गौशाला को चिन्हित करते हुए डॉ. अमित वर्मा, डॉ. अरबिन्द सिंह, डॉ. अजीत कुमार सिंह, डॉ. विकास जायसवाल, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी, डॉ. रमाकान्त, डॉ. विष्णु राय आदि वैज्ञनिकों की टीम ने गौशाला पहुँचकर अस्थायी बाँझपन की शिकार गायों का चयन किया तथा आवश्यक दवाओं जैसे वाह्य परीजीवीनाशक, कृमिनाशक तथा हॉर्मोन से पशुओं का उपचार भी किया।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *