मेरा हश्र देख शायद की कोई सीएम रहा व्यक्ति चुनाव लड़ने की हिम्मत करेगा




नवीन चौहान.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान है। कांग्रेस ने उन्हें कई जिम्मेदारी सौंपी जिन पर वह खरा उतर कर दिखाने में कामयाब भी हुए, लेकिन कई मामलों में वह पार्टी की भीतरघात का शिकार होकर निराश भी हुए। कुछ ऐसी ही निराशा उनकी इस वक्त चल रही है।

विधानसभा चुनाव में प्रदेश में पार्टी की हार के बाद एक तरह से उन्हें हाशिए पर डाल दिया गया है। न तो संगठन में उनकी सुनी जा रही है और न ही हाई कमान उन्हें कोई तवज्जों दे रहा है। इस दौरान अपनी बात को वह बेबाकी से सोशल मीडिया के माध्यम से सबके सामने रख रहे हैं। इस बार उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर भी अपने विचार सामने रखे हैं।

उनके ​ये विचार बुरे नहीं है। प्रदेश हित में उन्होंने एक अच्छी पहल करने का प्रयास किया है। उन्होंने लिखा है कि वह चाहते है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों का एक क्लब बने। जिसमें शामिल सभी पूर्व सीएम हर महीने किसी एक दिन कहीं एक निश्चित स्थान पर बैठक कर आपस में वार्ता करें।

यह वार्ता प्रदेश के हित के लिए क्या प्रयास किये जा सकते हैं, क्या ऐसा कार्य किया जाए जिसे प्रदेश का विकास हो, ऐसा कोई आपसी सहमति से सुझाव यदि सामने आता है तो उसे सार्वजनिक किया जाए।

हरीश रावत ने यह भी माना कि इस चुनाव के बाद उनका जो हश्र हुआ है उसके बाद कोई मुख्यमंत्री रहा हो व्यक्ति फिर से चुनाव लड़ने की बात करेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा का चुनाव जो समझदार हैं वो लड़ नहीं रहे हैं, जो हम जैसे लोग हैं वो लड़ रहे हैं तो हार जा रहे हैं।

राज्य हम पर खर्च भी कर रहा है‌। राज्य ने जो अनुभव हमको दिया, उस अनुभव का कुछ प्रभावी प्रतिदान देने की स्थिति में अपने को नहीं बना पा रहे हैं। मेरा हश्र देखने के बाद शायद ही कोई मुख्यमंत्री रहा व्यक्ति फिर से चुनाव लड़ने की हिम्मत करेगा।

हरीश रावत की बात ये तो साबित हो रहा है कि वह आज भी प्रदेश के हितों के लिए सोचते रहते हैं। उनके कार्यकाल में क्या कमी रही जो उनके ही विधायकों ने उन्हें धोखा दिया इस पर भी वह मंथन जरूर कर रहे होंगे, लेकिन अब देर हो चुकी है। यह वो भी जान गए है कि प्रदेश में अब हरीश रावत का नाम राजनीति में खोता जा रहा है।

संगठन में अभी अब वरिष्ठ नेताओं को तवज्जों नहीं दी जा रही है, नए युवाओं को पार्टी में जगह मिल रही है, लेकिन इन युवाओं में अनुभव की कमी देखने को मिल रही है। यही दर्द हरीश रावत का भी है, उनका भी कहना है कि उनके जैसे वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर डाला जा रहा है।



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