नवीन चौहान
भारत की डूबती अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने में भिखारियों का सबसे बड़ा योगदान है। भिखारियों के द्वारा बैंक खातों में जमा कराई गई रकम देश की जनता के काम आ रही है। भिखारियों की जमा राशि बैंक में सुरक्षित है। लॉकडाउन खुलने के बाद से भिखारियों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है। हरिद्वार की बात करें तो एक भिखारी की 15 दिनों की औसतन आय करीब सात से आठ हजार है। जिसको वह अपने बैंक खातों में जमा करा रहे है। सामान्य व्यक्तियों की आमदनी पर लॉकडाउन का ग्रहण लगा हुआ है। जबकि भिखारियों की आमदनी पहले की तरह से सुचारू है।
जी हां यह खबर पढ़ने में आपको अटपटी जरूर लग रही होगी। लेकिन इस खबर के पीछे एक सच्चाई है। सोमवार की सुबह एक भिखारी हरिद्वार अपर रोड़ स्थित एक बैंक पहुंचा। भिखारी अपने बैंक खाते में पैंसे जमा कराने के लिए आया था। जमा पर्ची लेने के बाद वह इधर—उधर भटकता रहा। इसी दौरान उसने एक व्यक्ति को जमा पर्ची भरने के लिए आवाज लगाई। व्यक्ति ने बाबा के भेष में आए व्यक्ति से आवाज लगाने का कारण पूछा। बाबा ने कहा कि मुझे पैंसे जमा कराने है। यह पर्ची भर दो। बाबा ने अपनी बैंक पास बुक दे दी। जिस पर बाबा का नाम लिखा था और एकाउंट नंबर दर्ज था।
जमा पर्ची भरने वाले व्यक्ति ने बाबा से पूछा कि आप क्या करते हो। बाबा ने बताया कि वह भिखारी है। भीख मांगकर रकम जुटाई है। बाबा ने नोटों की गिनती की और बताया कि सौ के पांच नोट है। पांच सौ के 14 नोट है। जबकि कुछ 10 के नोट शामिल रहे। कुल मिलाकर जमा राशि पूरे आठ हजार की रकम थी। बाबा से पूछा गया कि इतनी रकम कितने दिनों की भीख में जुटाई है। बाबा ने बताया कि करीब 15 से 16 दिनों में करीब आठ हजार एकत्रित किए है।
जमा पर्ची भरने वाला व्यक्ति सकते में आ गया। बाबा से पूछा कि खाते में आपका उत्तराधिकारी कौन है और यह रकम किसके लिए एकत्रित कर रहे है। बाबा ने कहा कि बुरे वक्त के लिए जमा किया जा रहा है। यह रकम बीमारी में काम आयेगी। बाबा को बताया कि सरकारी अस्पताल में तो इलाज मुफ्त है। फिर किसके लिए यह धन जुटा रहे है। बाबा ने कोई उत्तर नहीं दिया और अपना पैंसा जमा करने लाइन में जा रहा।
यही वह हकीकत है। हरिद्वार में ना जाने कितने भिखारियों के बैंकों में लाखों रूपया जमा है, जो कभी नहीं निकलता है। इन पैंसों का कोई उत्तराधिकारी नहीं होता। बैंक मैनेजर ने बताया कि यह पैंसा बैंकों के काम आता है। खाता संचालित नहीं होने की स्थिति में रिजर्ब बैंक को यह पैंसा चला जाता है।
कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो भिखारियों का बैंकों में कितना बड़ा योगदान है। जो अपनी जमा पूंजी देश को समर्पित कर रहे है। जबकि बड़े-बड़े धन्ना सेठ बैंक को चूना लगाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेते है। आए दिन तमाम बड़े लोगों के फर्जीबाड़ा करने की खबरे सुर्खिया बनती है।
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