शहीदों के बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा देश: साध्वी प्राची




मेरठ। ज्वाला सेवा समिति द्वारा कंकरखेड़ा स्थित सनातन धर्म सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज में बलिदान दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सुधीर चौहान एवं संचालन ज्वाला सेवा समिति के महामंत्री इंद्रपाल सिंह बजरंगी ने किया। गोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा शहीदों एवं भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर वंदे मातरम् गायन के साथ हुआ।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता साध्वी डॉक्टर प्राची आर्या ने कहा कि आज हम उस दिन को मानने के लिए यहां एकत्र हुए हैं जिस दिन मां भारती के वीर सपूतों भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों ने मां भारती के चरणों में अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। जो उनकी आयु थी उस आयु में लड़के अपने विवाह के विषय में सोचते हैं, अपने करियर के विषय में सोचते हैं, और केवल अपने विकास के विषय में सोचते हैं। लेकिन वो ऐसी पुण्यात्मा थे की उन्होंने अपने और अपने परिवार के विषय में ना सोचते हुए केवल इस देश की स्वतंत्रता के विषय में सोचा। इसीलिए हम और हमारा देश सदैव उनके उस बलिदान का ऋणी रहेगा।

मेरठ के महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि आजादी लड़ाई लड़ने वाला हर एक क्रांतिकारी हमारे आदर्श एवं हमारे लिए पूजनीय है। और यदि देश के हर नागरिक के दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा होगा तो हमारे देश की ओर कोई आंख उठाकर भी नहीं देखेगा। मेरठ कैंट के विधायक अमित अग्रवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश की आजादी से पहले हम यदि अंग्रेजों की यातनाओं और क्रूरता के बारे में सोचते हैं तो मन कांप उठता है, लेकिन उन क्रूरताओं के मध्य हमारे सभी क्रांतिकारियों ने मिलकर ये देश आजाद कराया और हमारे दिलों पर राज कर गए। विधान परिषद सदस्य धर्मेन्द्र भारद्वाज ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि हमारे लिए अपनी जान देने वाले शहीदों को हम कुछ दे तो नहीं सकते, पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करके उनको श्रद्धांजलि जरूर दे सकते हैं।

संचालन करते हुए कार्यक्रम के आयोजक इंद्रपाल सिंह बजरंगी ने कहा कि भगत सिंह चाहते तो शादी के प्रस्ताव को स्वीकार कर अपना घर बसा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि सुखदेव राजगुरु जैसे अनेक क्रांतिकारियों के साथ मिलकर, मां भारती की स्वतंत्रता के कठिन और बलिदानी पथ को चुना। इसीलिए आज पूरा देश ऐसे-ऐसे मेलें (कार्यक्रम) लगाकर उनकी महानता को नमन कर रहा है। किसी शायर ने भी कहा है कि “शहीदों को चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेलें, वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा”

इस अवसर पर मुख्य रूप से संजीव राणा, आचार्य विवेकानन्द, मोहन किनोनी, हिमांशु त्यागी, सतीश दक्ष, अहलकार नागर, हरी शर्मा, राजेश सोम, विभव त्यागी, राकेश प्रजापति, आलोक गौतम, दिग्विजय चौहान, अरुण कुमार, सुनील रिठानी, सुनील प्रजापति, नित्यानंद जोशी, खुशीराम, अचला सिंह, विमला जाटव, हीरालाल, वरिंदर कौर, अर्चना शर्मा, नीलम गोस्वामी, गोपाल शर्मा, आदेश कसाना आदि उपस्थित रहे।



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