नवीन चौहान
कुंभ पर्व 2021 में अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा। श्रद्धालुओं को तमाम समस्याओं को गुजरना पड़ा। पार्किंग स्थल से गंगा घाटों की दूरी परेशानी का सबब बनी। लेकिन इन सबसे भी अहम बात कुंभ मेला पुलिस के अभद्र व्यवहार और मारपीट की रही। पुलिस ने श्रद्धालुओं के पैरों पर डंडे मारे। आस्था और भक्ति से सराबोर भक्त के पैरों से पुलिस के डंडे का निशान भले ही मिट जाए पर दिल में जरूर याद रहेगा। हरिद्वार पुलिस ने डंडा मारा और हम कुंभ दर्शन करके आए।
कुंभ पर्व 2021 के पहले शाही स्नान को देखने के लिए श्रद्धालुओं का जबददस्त जनसैलाब उमड़ा। मेला प्रशासन के आंकड़ों की बात करें तो करीब 37 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। लेकिन अब हम बात करते है इन 37 लाख भक्तों की सेवा, सुरक्षा और व्यवस्था में जुटी मेला पुलिस की। करीब दो माह से आईजी संजय गुंज्याल मेला पुलिस को भीड़ नियंत्ररण का मंत्र देते रहे। मेला प्रशासन और प्रशासनिक टीम को यात्रियों से मधुर भाषा में बात करने का ज्ञान दिया गया। कुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्था में जुटे तमाम पुलिस बलों को भीड़ नियंत्ररण के दौरान धैर्य रखने और शालीनता से बात करने की नसीहत दी गई। लेकिन शाही स्नान के दिन से पूर्व की रात आई तो पुलिस आईजी साहब का पढ़ाया हुआ सबकुछ भूल चुकी थी। पुलिस के हाथों में डंडा दिखाई पड़ रहा था। जो कि अपना कार्य कर रहा था। पुलिस श्रद्धालुओं को समझाना कम और फटकार ज्यादा रही थी। कई वाहनों के शीशों पर भी डंडे मारे गए। नाकेबंदी पर खड़ी पुलिस अपना मानसिक धैर्य पूरी तरह से खो चुकी थी। जिसके चलते श्रद्धालुओं के दिलों में एक टीस रह गई।
हरिद्वार कुंभ में आए ये श्रद्धालु पुलिस की मार को भी भूल जायेंगे। लेकिन मित्र पुलिस के सम्मान को बरकरार रख पाए यह संभव नही। मित्र पुलिस अपनी छवि के अनुरूप कार्य नही कर पाई। ऐसा नही है कि मित्र पुलिस ने कार्य नही किया। कुंभ पुलिस ने अपनी क्षमता के अनुरूप अच्छा कार्य किया। कुछ पुलिसकर्मियों ने मानवता की झलक भी दिखाई दी। श्रद्धालुओं का सहयोग भी किया। उनका सामान रखवाने और भिजवाने में मदद भी की। चंद पुलिसकर्मियों के इस अमानवीय पूर्ण व्यवहार के चलते श्रद्धालुओं के मन में एक दर्द रह गया। स्थानीय नागरिकों की समस्या की बात करें तो मीडियाकर्मियों तक से अभद्रता हुई। कुल मिलाकर दूसरे शाही स्नान से पूर्व पुलिसकर्मियों को अपने व्यवहार में परिपक्वता लाने की जरूरत है। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु आस्था और भक्ति से सरोबार होकर पहुंचे है। उनको बस उचित मार्गदर्शन की जरूरत है। गालियों और अभद्रता की नही।